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Roop tha uska bahut || hindi poem

रूप था उसका बहुत विशाल, राक्षस था वो बहुत भारी..
नाम था दशानन उसका, बुद्धि न जिसकी किसी से हारी..
हर कोई डरता था उससे, हो देव, दैत्य, चाहे नर-नारी..
प्रकोप था जिसका लोकों में, धरती कांपती थी सारी..
देखके ताकत को उसकी, भागे खड़े पैर बड़े बाल-धारी..
विशाल साम्राज्य पर उसके, भारी पड़ गई बस एक नारी..
घमंड को उसके चूर कर दिया, कहा समझ ना तू निर्बल नारी..
विधवंश का तेरे समय आ गया, ले आ गयी देख तेरी बारी..
लंका में बचेगा ना जीव कोई, मति जो गई तेरी मारी..
आराध्य से मेरे दूर कर दिया, भुगतेगी तेरी पीढी सारी..
रघुनंदन आए कर सागर पार, आए संग वानर गदा धारी..
एक-एक कर सबको मोक्ष दिया, सियाराम चरण लागी दुनिया सारी..

Title: Roop tha uska bahut || hindi poem

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


दूर देश अंजाना || Hindi poetry || love shayari

हवा बहती हुई यूं मदधम सी, गा रही है एक तराना..
मेरे यार का लाई है संदेश, जिसपे नहीं है पता ठिकाना..
उस खत में लिखे हैं शब्द दो ही, अब कैसे जाए पहचाना..
आए तुम्हे जब याद मेरी, तुम प्यार से मुझे बुलाना..
मैं आउंगी ये वादा है, चाहे रोके सारा जमाना..
क्या भूल गई वादा वो अपना, इस गम में है दिल दीवाना..
क्या मै करूँ, चाहता है दिल, करीब उसके अब चले जाना..
मैं रोक नहीं सकता अब उसको, मुश्किल है सब्र कराना..
मैने हवा से की फरियाद के वापस मुझे अपने साथ ले जाना..
मैं आऊं कहां, मेरे यार का पता पुछ के मुझे बताना..
उसकी झलक को हूं मैं तरस गया, बस एक बार दिखला ना..
टालने में वो माहिर है, पर तू करना ना कोई बहाना..
क्यूं नहीं मिलता वो मुझसे, उसे मिलके है पता लगाना..
मुझे जानना है, वो है कहां, उसे क्यूं नहीं है यहां आना..
उसे कहदे मैं न भूलूंगा, चाहे भूले सारा जमाना..
गर वो नहीं आ सकती तो उसे पड़ेगा मुझे बुलाना..
हवा भी हो गई परेशान, वो चाहे मुझे समझाना..
जहां यार मेरा, मैं जा नहीं सकता, है दूर देश अंजाना….

Title: दूर देश अंजाना || Hindi poetry || love shayari


Ajh da punjab || truth life shayari

ਬੜਾ ਸਸਤਾ ਮੁੱਲ ਲੱਗਦਾ ਏ,
ਲਿਖਿਆ ਗੀਤ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਦਾ।

ਕਿੱਸਾ ਭੁੱਲ ਨਹੀ ਸਕਦਾ,
ਕੀਤਾ 84 ਦੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਦਾ।

ਰੁਲ ਗਿਆ ਪੰਜਾਬ ਸਾਰਾ,
ਏ ਦੋਸ਼ ਨਸ਼ਿਆ ਦੇ ਵਪਾਰ ਦਾ।

ਹਰ ਕੋਈ ਵੈਰੀ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦਾ,
ਪੈਸਾ ਕਾਰਨ ਬਣਿਆ ਤਕਰਾਰ ਦਾ।

ਖੂਨ ਨੂੰ ਕਰਦਾ ਏ ਕਾਲਾ,
ਮਾੜਾ ਨਸ਼ਾ ਚਿੱਟੇ ਦਾ।

ਲਾਕੇ ਕਿਸੇ ਦਾ ਪੁੱਤ ਨਸ਼ੇ ਤੇ,
ਫਿਰ ਫੈਇਦਾ ਕੀ ਆ ਪਿੱਟੇ ਦਾ।

ਇਕ ਬੋਤਲ ਪਿਛੇ ਵਿਕ ਜਾਣਾ,
ਇਹ ਸਬੂਤ ਏ ਜਮੀਰ ਮੁਕੇ ਦਾ।

ਸ਼ਰਿਆਮ ਵਿਕ ਦਾ ਏ,
ਫੈਇਦਾ ਕੀ ਆ ਬੁਤ ਫੂਕੇ ਦਾ।

ਪਾਣੀ ਸੁਕਦਾ ਜਾਦਾਂ ਏ,
ਨਸ਼ਾ ਛੇਂਵਾ ਦਰਿਆ ਪੰਜਾਬ ਦਾ।

ਸਰਕਾਰ ਦੀਆ ਨੀਤੀਆ ਏ,
ਜਿਉ ਅਲਜਬਰਾ ਹਿਸਾਬ ਦਾ।

ਪੰਜਾਬ ਚ ਵੇਚਦੇ ਨੇ ਉਹੀ,
ਜਿਦਾ ਰੁਤਬਾ ਏ ਜਨਾਬ ਦਾ।

ਬਚਦਾ ਏ ਤਾ ਪੰਜਾਬ ਬਚਾ ਲਓ,
ਆਖਰੀ ਪੰਨਾ ਨੇੜੇਆ ਕਿਤਾਬ ਦਾ।

#ਕੁਲਵਿੰਦਰਔਲਖ

Title: Ajh da punjab || truth life shayari