Oh dard dard nahi hunda, jihnu byaan karn lai saadhiyaa akhaan hungaara na bharan
ਉਹ ਦਰਦ ਦਰਦ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਜਿਹਨੂੰ ਬਿਆਨ ਕਰਨ ਲਈ ਸਾਡੀਆ ਅੱਖਾਂ ਹੁੰਗਾਰਾ ਨਾ ਭਰਨ
Oh dard dard nahi hunda, jihnu byaan karn lai saadhiyaa akhaan hungaara na bharan
ਉਹ ਦਰਦ ਦਰਦ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਜਿਹਨੂੰ ਬਿਆਨ ਕਰਨ ਲਈ ਸਾਡੀਆ ਅੱਖਾਂ ਹੁੰਗਾਰਾ ਨਾ ਭਰਨ
Badhi mushkil de naal sulaayea
raati ehna akhaan nu
tere pyare supneyaa da lalach de k
ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਦੇ ਨਾਲ ਸੁਲਾਇਆ
ਰਾਤੀ ਇਹਨਾ ਅੱਖਾਂ ਨੂੰ
ਤੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਸੁਪਣਿਆਂ ਦਾ ਲਾਲਚ ਦੇ ਕੇ
लिखता मैं किसान के लिए
मैं लिखता इंसान के लिए
नहीं लिखता धनवान के लिए
नहीं लिखता मैं भगवान के लिए
लिखता खेत खलियान के लिए
लिखता मैं किसान के लिए
नहीं लिखता उद्योगों के लिए
नहीं लिखता ऊँचे मकान के लिए
लिखता हूँ सड़कों के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
क़लम मेरी बदलाव बड़े नहीं लाई
नहीं उम्मीद इसकी मुझे
खेत खलियान में बीज ये बो दे
सड़क का एक गढ्ढा भर देती
ये काफ़ी इंसान के लिए
लिखता हूँ किसान के लिए
लिखता मैं इंसान के लिए
आशा नहीं मुझे जगत पढ़े
पर जगत का एक पथिक पढ़े
फिर लाए क्रांति इस समाज के लिए
इसलिए लिखता मैं दबे-कुचलों के लिए
पिछड़े भारत से ज़्यादा
भूखे भारत से डरता हूँ
फिर हरित क्रांति पर लिखता हूँ
फिर किसान पर लिखता हूँ
क्योंकि
लिखता मैं किसान के लिए
लिखता मै इंसान के लिए
तरुण चौधरी