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एक बार की बात है, राजा अकबर अपने दरबार में बैठकर कुछ विचार कर रहे थे। तभी अचानक उन्हें ख्याल आया कि उनकी दाढ़ी और बाल काफी बढ़ गए हैं। इस ख्याल के आते ही उन्होंने अपने एक दरबारी को बुलाकर नाई को फौरन हाजिर होने का संदेश भिजवाया। राजा का संदेश मिलते ही नाई महल पहुंच गया।
महल पहुंचकर नाई राजा की हजामत बना ही रहा था कि कहीं से एक कौवा वहां आकर बैठ जाता है और कांव-कांव करने लगता है। राजा अकबर नाई से पूछते हैं, “यह कौवा कांव-कांव क्यों कर रहा है?” इस पर नाई जवाब देता है, “यह आपके पूर्वजों का हाल-चाल बताने आया है।”
नाई के इतना कहते ही राजा अकबर आश्चर्य से पूछते हैं, “तो बताओ फिर यह कौवा मेरे पूर्वजों के बारे में आखिर क्या बता रहा है?”
राजा के इस सवाल पर नाई कहता है, “यह कौवा कह रहा है कि आपके पूर्वज स्वर्ग में मुसीबत में हैं और काफी परेशान हैं। उनका हालचाल लेने के लिए आपको अपने किसी करीबी को स्वर्ग भेजना चाहिए।”
नाई की यह बात सुनकर राजा अकबर और भी हैरान हो जाते हैं। राजा अकबर आश्चर्य से नाई से पूछते हैं, “आखिर किसी इंसान को जिंदा स्वर्ग में कैसे भेजा जा सकता है?”
राजा के इस सवाल पर नाई जवाब देता है, “महाराज मेरी नजर में एक पुरोहित है, जो इस काम को अंजाम दे सकता है। बस आप इस काम के लिए अपने किसी करीबी को स्वर्ग जाने के लिए राजी कर लीजिए।”
नाई के इस आश्वासन पर राजा अकबर तैयार हो जाते हैं और दरबार में अपने सभी करीबी दरबारियों को बुलाते हैं। राजा के आदेश पर सभी करीबी दरबारी राजा अकबर के सामने हाजिर हो जाते हैं।
सभी दरबारी राजा से अचानक बुलाने की वजह पूछते हैं। इस पर राजा उन्हें नाई के साथ हुई सारी बात सुनाते हैं। राजा की बात सुनकर सभी दरबारी एक मत में बीरबल का नाम आगे रखते हैं। दरबारी कहते हैं कि स्वर्ग जाकर पूर्वजों का हाल-चाल लेने के लिए बीरबल से उचित व्यक्ति और कोई नहीं हो सकता, क्योंकि बीरबल हम सब में सबसे ज्यादा बुद्धिमान और चतुर है। इसलिए, स्वर्ग में आपके पूर्वजों का हाल-चाल लेकर वह उनकी परेशानी का हल आसानी से निकाल सकता है।
राजा अकबर दरबारियों की इस सलाह को मानते हुए बीरबल को स्वर्ग भेजने की तैयारी कर लेते हैं। इस बात का पता चलते ही बीरबल शहंशाह अकबर से पुरोहित को बुलाकर स्वर्ग भेजने की विधि के बारे में पूछते हैं।
बीरबल की इस बात पर राजमहल में पुरोहित को बुलवाया जाता है। पुरोहित के आते ही उनसे स्वर्ग जाने की विधि के बारे में पूछा जाता है। पुरोहित बताते हैं, “आपको यहीं पास में मौजूद एक घास के ढेर में भेजा जाएगा। बाद में उस ढेर में आग लगा दी जाएगी। फिर कुछ मंत्रों की शक्ति से आपको स्वर्ग भेज दिया जाएगा।”
स्वर्ग जाने की पूरी प्रक्रिया जानने के बाद बीरबाल राजा अकबर से करीब 11 दिन का समय मांगते हैं और पुरोहित को 11 दिन बाद बुलाने की बात रखते हैं। वह कहते हैं, “मैं स्वर्ग जा रहा हूं और कितने दिन मुझे लौटने में लगेंगे इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है। इसलिए, स्वर्ग जाने से पहले एक बार मैं अपने परिवार से मिलना चाहता हूं और कुछ समय बिताना चाहता हूं।”
बीरबल अपने घर जाने के लिए महल से रवाना हो जाते हैं। देखते-देखते 11 दिन बीत जाते हैं। 12वें दिन बीरबल स्वर्ग जाने के लिए राजा अकबर के सामने हाजिर होते हैं। पुरोहित को बुलाया जाता है और बीरबल को स्वर्ग भेजने की तैयारी की जाने लगती हैं।
पुरोहित बीरबल को स्वर्ग भेजने के लिए महल से कुछ दूर घास का एक ढेर लगवाते हैं। बीरबल को स्वर्ग भेजने के लिए घास के ढेर के अंदर भिजवाया जाता है। घास के ढेर के अंदर जाते ही पुरोहित घास के ढेर में आग लगा देते हैं और बीरबल को स्वर्ग भेजने की प्रक्रिया पूरी होती है।
धीरे-धीरे दो महीने बीत जाते हैं और राजा अकबर को बीरबल की चिंता होने लगती है। तभी अचानक बीरबल दरबार में हाजिर हो जाते हैं। राजा अकबर, बीरबल को देखकर प्रसन्न होते हैं और अपने पूर्वजों का हाल-चाल पूछते हैं।
तब बीरबल बताते हैं, “आपके पूर्वज काफी खुश हैं और मजे में हैं। उन्हें बस एक ही तकलीफ है कि उनकी दाढी और बाल काफी बड़े हो गए हैं, जिन्हें काटने वाला स्वर्ग में कोई नाई नहीं है। इसलिए, वहां उन्हें एक नाई की जरूरत है।”
बीरबल कहते हैं, “ऐसे में हमें आपके पूर्वजों के लिए एक अच्छे नाई को स्वर्ग भेजने की तैयारी करनी चाहिए।” बीरबल की इस बात पर राजा नाई को स्वर्ग जाने का आदेश देते हैं।
राजा का आदेश सुनकर नाई घबरा जाता है और राजा के पैरों में गिरकर माफी मांगने लगता है। नाई राजा से कहता है कि यह सब कुछ उसने वजीर अब्दुल्लाह के कहने पर किया था। यह सब उन्हीं की साजिश थी, ताकि वह बीरबल को अपने रास्ते से हटा सकें। अब राजा अकबर के सामने सारी सच्चाई आ चुकी थी। ये सब जानने के बाद राजा अकबर ने वजीर अब्दुल्लाह और उनके साथियों को दंड देने का आदेश दिया।
अंत में राजा अकबर, बीरबल से पूछते हैं, “तुम्हें इस सच्चाई का पता कैसे चला और तुम घास के ढेर में आग लगने के बाद कैसे बच गए?” तब बीरबल जवाब देते हैं, “आग के ढेर में जाने कि बात सुनकर मुझे इस साजिश का अंदाजा हो गया था। इसी वजह से मैंने 11 दिन का समय मांगा था। उन 11 दिनों में मैंने उस घास के ढेर वाले स्थान के नीचे से अपने घर तक एक सुरंग बनवा दी थी। उस सुरंग के जरिए ही मैं वहां से बचकर निकल पाया।”
पैसा सब कुछ खरीद भी सकते है, खरीद नहीं भी सकते है।
जिनके पास पैसा है, उनका इंसानियत ही बताएगा के पैसा क्या कर सकते है।
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जनम से पता नहीं चलता कौन पंडित और कौन मेहतर है।
इन्सान का ब्यबहार ही बताता है के वो समाज में किस स्तर पर है।
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अंतिम वक्त सबका आता है, लेकिन समय कभी ख़तम नहीं होता।
ज़िन्दगी दो दिन का, लेकिन अमर विजेता।
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मेरा ज़िन्दगी का फिल्म में भी बॉक्स ऑफिस फैक्टर।
में एक्टर, किस्मत प्रोडूसर और समय डायरेक्टर।
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कंक्रीट का जंगल में हम सब जानवर।
शेर कहाँ मिलेगा, हम सब सियार।
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फूलों के रंग छा गये है मन में, लहर की आवाज़ उठी है दिल में।
दिन में सूरज, रात में चंद्रमा, रोशन जिंदगी में।
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भासा सब एक है, भावना में अंतर।
खून सबका लाल है, इंसानियत पत्थर।
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प्यार खुद आता है, उसे बुलाना नहीं होता।
किस्मत में लिखा है समय का पता।
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सुहाना मौसम में चैन का साँस।
प्यार का मतलब दोस्ती में बिस्वास।
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सुभे अँधेरा, नींद में टाउन।
फिर से लॉकडाउन।
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वक्त का इंतज़ार में, होगी जीत।
धीर रहो, सुनो पल का गीत।
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लहर हवा की तरह चलती फिरती है।
बात वक्त की तरह उचित सिखाती है।
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ज्यादा सुनोगे तो रहोगे दुःखी।
कल की बात, गुजरा हुआ रात, सुनो दिल की, अपने में सुखी।
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अगर दर्द नहीं होता तो आराम भी नहीं मिलता।
अगर झगड़ा नहीं होता तो प्यार भी खो जाता।
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मम्मी पापा अगर डांटते है, आशीर्वाद वो।
बीबी का डाँटना मतलब हालत बुरा, सब ख़तम जब डांटते है बच्चो।
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घरवाले अच्छे हो तो पड़ोसी का जरुरत नहीं।
घरवाले बुरे हो तो अच्छे पड़ोसी भी होते नहीं सही।
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दोस्त कहां पर मिलेगा।
खुद के बारे में सोचता हुआ इंसान अब यह पूछेगा।
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सुख रोते है कबर में, शांति जलते है श्मशान में।
छुपाओ खुदको, किसी के साथ मिलो मत, संक्रमण सांस में।
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जिंदगी में बड़ा बनना है तो उतना ही चालाक बनो जितना ईमानदार हो।
नही तो दूसरे आके ले लेंगे तुम्हारा ज़मीन और खा जायेंगे तुम्हारा छाँव।
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जिंदगी में हम लोग खेलने आये है, यहाँ ट्रॉफी सब को नहीं मिलता।
सिर्फ खेल का मजा लो, हार जीत एक साथ रहता।
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खून की नदी बहती, मार का बदला मार।
नेतागिरी राजनीती छेड़ता है मोहब्बत और प्यार।
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जो क्राइम करते है, उनके दिमाग ख़राब है।
शादी करो या नहीं भी करो, हालत हमेशा बुरा है।
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क्रिमिनल बनता नहीं, बनाया जाता है।
क्राइम का ठिकाना जेल और क्रिमिनल का पागलखाने ही गंतब्य होता है।
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कभी कभी दिमाग में ट्रैफिक जैम हो जाता।
बिगड़ा हुआ सिग्नल पकड़ता हालत को और वक्त ट्रैफिक पुलिस का काम करता।
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नियति समय का ही एक रूप।
वक्त का सही इस्तेमाल करो, उसका इंतज़ार में रहते हैं सिर्फ बेकूफ़।