“थोड़ा थक सा जाता हूं अब मै…
इसलिए, दूर निकलना छोड़ दिया है,
पर ऐसा भी नही हैं कि अब…
मैंने चलना ही छोड़ दिया है।
फासलें अक्सर रिश्तों में…
अजीब सी दूरियां बढ़ा देते हैं,
पर ऐसा भी नही हैं कि अब मैंने..
अपनों से मिलना ही छोड़ दिया है।
हाँ जरा सा अकेला महसूस करता हूँ…
खुद को अपनों की ही भीड़ में,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब मैंने…
अपनापन ही छोड़ दिया है।
याद तो करता हूँ मैं सभी को… और परवाह भी करता हूँ सब की, पर कितनी करता हूँ… बस, बताना छोड़ दिया है।।”
Hasn nu jee taa wala karda
par khul ke haseyaa ni janda
oyea ta mere naal v kujh aa
aahi ta bol ke daseyaa ni janda
ਹੱਸਣ ਨੂੰ ਜੀਅ ਤਾ ਵਾਲਾ ਕਰਦਾ
ਪਰ ਖੁੱਲ੍ਹ ਕੇ ਹੱਸਿਆ ਨੀ ਜਾਂਦਾ
ਹੋਇਆ ਤਾ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਵੀ ਕੁਝ ਆ
ਆਹੀ ਤਾ ਬੋਲ ਕੇ ਦੱਸਿਆ ਨੀ ਜਾਂਦਾ…