Hajaron khamiyan hai mujhme
Aur mujhe malum bhi hai….
Par ek saksh hai
Nasamajh,
Mujhe behtareen kehta hai…!!❤️
हजारों खामियां है मुझ में ,
और मुझे मालूम भी हैं ….!
पर एक शख्स है
नासमज,
मुझे बेहतरीन कहता है….!❤️
Hajaron khamiyan hai mujhme
Aur mujhe malum bhi hai….
Par ek saksh hai
Nasamajh,
Mujhe behtareen kehta hai…!!❤️
हजारों खामियां है मुझ में ,
और मुझे मालूम भी हैं ….!
पर एक शख्स है
नासमज,
मुझे बेहतरीन कहता है….!❤️
ना कोई गुनाह किया , ना कोई मुकदमा हुआ..!
ना अदालत सजाई गई, ना कोई दलिले हुई..!
किस किस से मांगे हम गवाही वफ़ा कि !
उसने छोड़ा भरे बाज़ार हमे, ये ज़माना जानता है!