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Enna pareshan Na kar ve sajjan || sad Punjabi status

 

Na ho enna khudgaraz
Kujh sharm taa kar ve sajjan
Tere lyi guayea khud nu
Shaddn to pehla rab ton dar ve sajjan
Tere ton doori nhi jar sakde
Dujeya lyi Na saj ve sajjan
Nazran likhari khata di ch fark peya
Fark peya gallan vich Teri ve sajjan
Shaddna hai taan shadd sanu
Enna preshan Na kar ve sajjan..!!💔

ਨਾ ਹੋ ਇੰਨਾ ਖੁਦਗਰਜ਼ 
ਕੁਝ ਸ਼ਰਮ ਤਾਂ ਕਰ ਵੇ ਸੱਜਣ
ਤੇਰੇ ਲਈ ਗੁਆਇਆ ਖੁਦ ਨੂੰ
ਛੱਡਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਰੱਬ ਤੋਂ ਡਰ ਵੇ ਸੱਜਣ
ਤੇਰੇ ਤੋਂ ਦੂਰੀ ਨਹੀਂ ਜ਼ਰ ਸਕਦੇ
ਦੁਜਿਆਂ ਲਈ ਨਾ ਸਜ ਵੇ ਸੱਜਣ
ਨਜ਼ਰਾਂ ਲਿਖਾਰੀ ਖ਼ਤਾ ਦੀ ਚ ਫ਼ਰਕ ਪਿਆ
ਫ਼ਰਕ ਪਿਆ ਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਤੇਰੀ ਵੇ ਸੱਜਣ
ਛੱਡਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਛੱਡ ਸਾਨੂੰ
ਇੰਨਾ ਪ੍ਰੇਸ਼ਾਨ ਨਾ ਕਰ ਵੇ ਸੱਜਣ..!!💔

 

Title: Enna pareshan Na kar ve sajjan || sad Punjabi status

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


pyar nhio mukkna || punjabi love shayari || ghaint status

Love punjabi shayari || Us mukam te mohobbat ne pahunchaya menu
Ke ishq hun dullda e ban akhiya Cho pani..!!
Ohde khayalan da kayal dil mera hoyia
Hun pyar nhio mukkna par jind mukk Jani..!!
Us mukam te mohobbat ne pahunchaya menu
Ke ishq hun dullda e ban akhiya Cho pani..!!
Ohde khayalan da kayal dil mera hoyia
Hun pyar nhio mukkna par jind mukk Jani..!!

Title: pyar nhio mukkna || punjabi love shayari || ghaint status


Phoolo ne kabhi || Shayari

फूलों ने कभी तोड़ने का दर्द कहा है,
कांटों ने ही हमेशा दुश्मनी निभाई है;
मोहब्बत भी फना का ही एक और नाम है,
यह रूसवा तो​ हुई है, पर इसने हमेशा वफादारी निभाई है।

ऐ चांद तेरे आने का सबब सबको मालूम नहीं,
कुछ लोग दिया जलाते हैं, और कुछ दिल जलाते हैं;
या वो अच्छी हैं या बुरी, हसरतें तो अपनी हैं,
मगर लोग अक्सर दाग तुझ पर लगाते हैं।

ऐ मेरे दोस्त तू समन्दर बन जा,
क्या खोया क्या पाया इसकी चाहत न कर;
तेरे अंदर ही एक मुकम्मल जहां है,
तू बाहर से किसी और की आस न कर।

मुमकिन है कि मंजिलें मुझसे दूर बहुत हैं,
पर रास्ते पर चलना मेरी फितरत बन गयी है;
उजाले समेटने में कोई वाहवाही नहीं,
अन्धेरों में रोशनी करना मेरी आदत बन गयी है।

ऐसे चलो कि चल के फिर गिरना न पड़े,
इतना उठो कि उठ के फिर झुकना न पड़े;
लेकिन गिरना, उठना तेरे बस में नहीं ऐ दोस्त,
इसलिए उसका हाथ पकड़ के चलो कि फिर रोना न पड़े।

मां के हाथों की बरकत का अंदाजा इस से हो गया,
थी एक वक्त की रोटी हर रोज,
और तीस वर्ष तक गुजारा हो गया;
आज रोटी तो है हर वक्त की, लेकिन वो वक्त कहीं पर खो गया।

ऐ जिंदगी, ये तेरे सवाल की तारीफ नहीं,
यह मेरे जवाब का हुनर कि जिंदगी की उलझने सुलझती चली गयीं;
मैं तो बस अपने दिल की कह रहा था,
और कहानियां बनती चली गयीं।

न थी जिंदगी से शिकायत,
न वक्त से कुछ गिला था;
जो मुझको नहीं मिला,
वो खुद मेरा ही सिला था;
मदद-ओ-मशवरे कम नहीं थे मददगारों के,
पर अफसोस जो तकदीर ने दिया था वह दर्द ही मुझे मिला था।

ऐ वतन कर्ज तो तेरा मैं जब उतारूं, जब मेरे पास कुछ अपना भी हो; तेरी मिट्टी, तेरा पानी, तेरी हवा, तेरी धूप, तेरी छांव, तेरी रोटी और नाम तेरा, फिर भी बस एक कतरा ही बन पाउं तेरा, तो मैं समझूं और तुझको मैं अपना पुकारूं।

जिंदगी जीने का अंदाज तो आया मगर अफसोस,
वो मुकम्मल एहसास नहीं आया;
वो हुनर तो आया मगर,
ऐ बदनसीबी वो मुकाम कभी नहीं आया।

यूं गलतफहमियां पाला न करो,कभी आईने में खुद को निहारा भी करो; ये जो चेहरा है वो सब कुछ बयां कर देता है; कभी इसको जुबां पर उतारा भी करो।

आशुतोष श्रीवास्तव

Title: Phoolo ne kabhi || Shayari