Asi teri fikar karde rehnde aa har waqt
te tainu koi farak nahi painda
ਅਸੀਂ ਤੇਰੀ ਫ਼ਿਕਰ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਆ ਹਰ ਵਕਤ..
ਤੇ ਤੈਨੂੰ ਕੋਈ ਫ਼ਰਕ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ…
Asi teri fikar karde rehnde aa har waqt
te tainu koi farak nahi painda
ਅਸੀਂ ਤੇਰੀ ਫ਼ਿਕਰ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਆ ਹਰ ਵਕਤ..
ਤੇ ਤੈਨੂੰ ਕੋਈ ਫ਼ਰਕ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ…
“सोचता हूँ, के कमी रह गई शायद कुछ या
जितना था वो काफी ना था,
नहीं समझ पाया तो समझा दिया होता
या जितना समझ पाया वो काफी ना था,
शिकायत थी तुम्हारी के तुम जताते नहीं
प्यार है तो कभी जमाने को बताते क्यों नहीं,
अरे मुह्हबत की क्या मैं नुमाईश करता
मेरे आँखों में जितना तुम्हें नजर आया,
क्या वो काफी नहीं था I
सोचता हूँ के क्या कमी रह गई,
क्या जितना था वो काफी नहीं था
“सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी I
ऐसी क्या मज़बूरी होगी उनकी की हम याद नहीं आते I
सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी I
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें I
Tum kitna bhi kisi ko pyaar kar lo,
Tum kitna bhi kisi ka intezaar kar lo,
Mar jayenge tumhari eik nigah pe,
Bas tum ek baar hamaara aitbaar kar lo.