Skip to content

Friend || English quotes

English quotes || friends quotes



Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Love poetry || Hindi Poems on mohobbat

देखा तो तुझे जब पहली बार मैंने,
अपनी आंखों पर न किया था एतबार मैंने,
क्या होता है कोई इतना भी खूबसूरत,
यही पूछा था खुदा से बार-बार मैंने।
तेरे नीले नीले नैनो ने किया था काला जादू मुझ पर,
यूं ही तो नहीं खो दिया था करार मैंने।

कायदा इश्क जब से पड़ा है,
इल्म बस इतना बचा है मुझ में,
फकत नाम तेरा मैं लिख लेता हूं, पढ़ लेता हूं।

आग बरसे चारों तरफ इस जमाने के लिए,
मेरी आंखों की नमी में हो पनाह किसी को छिपाने के लिए।
वो है खुदगर्ज बड़ी मैं जानता हूं,
लौट आएगी फिर से खुद को बचाने के लिए।

मिजाज हो गए तल्ख जब मतलब निकल गया,
ना हुई दुआ कबूल तो मजहब बदल गया।
वो जो कहते थे कि मेरी चाहत कि खुदा तुम हो,
कभी बदली उनकी चाहत कभी खुदा बदल गया।

चल मान लिया कोई तुझसे प्यारी नहीं होगी,
पर शर्त लगा लो तुम से भी वफादारी नहीं होगी।
तेरी बेवफाई ने मेरा इलाज कर दिया है,
पक्का अब हमें फिर से इश्क की बीमारी नहीं होगी।

प्यार जब भी हुआ तुमसे ही हुआ,
कोशिश बहुत की मैंने किसी और को चाहने की।
एक तो तेरा इश्क था ही और एक मैंने आ पकड़ा,
अब कोई कोशिश भी ना करना मुझ को बचाने की।

यह जो आज हम उजड़े उजड़े फिरते हैं,
हसरतें बहुत थी हमें भी दुनिया बसाने की।
मुझे आज भी तुमसे कोई गिला नहीं है,
दस्तूर ही कहां बचा है मोहब्बत निभाने का।

इस शहर में मुर्दों की तादाद बहुत है,
कौन कहता है कि ये आबाद बहुत है,
जुल्मों के खिलाफ यहां कोई नहीं बोलता,
बाद में करते सभी बात बहुत हैं।

मेरे छोटे से इस दिल में जज्बात बहुत हैं,
नींद नहीं है आंखों में ख्वाबों की बरसात बहुत है।
राह नहीं, मंजिल नहीं, पैर नहीं कुछ भी नहीं,
मुझे चलने के लिए तेरा साथ बहुत है।

दूर होकर भी तू मेरे पास बहुत है,
सगा तो नहीं मेरी पर तू खास बहुत है।
जिनकी टूट चुकी उनको छोड़ो बस,
हमें तो आज भी उनसे आस बहुत है।

Title: Love poetry || Hindi Poems on mohobbat


Kaisa c velaa || punjabi poetry on love

ਧੁੱਰਾਂ ਤੋਂ ਹੀ ਲੇਖ ਨੇ ਮਾੜੇ
ਕਿੱਥੇ ਟੱਕਰਦੇ ਸੁਨੇ ਰਾਹਾਂ
ਮੈਂ ਹੈਰਾਨ ਹਾਂ ਉਸਦੀ ਕਿਸਮਤ ਤੇ
ਜਿਹਦੀ ਰਾਤ ਗੁਜ਼ਰੇ ਉਹਦੀਆਂ ਬਾਹਾਂ
ਤਕਰਾਰ ਹੋਇਆ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਮੌਤ ਦਾ
ਤੇ ਮੌਤ ਦੀਆਂ ਨੀਤਾਂ ਸੁੱਚੀਆਂ ਸੀ
ਖੁੱਦ ਨੂੰ ਦਫ਼ਨ ਕਰਨ ਲੀ ਜ਼ਮੀਨ ਨਹੀ ਮਿਲੀ
ਤੇਰੇ ਪਿੰਡ ਕੀਮਤਾਂ ਉੱਚੀਆਂ ਸੀ
ਉੱਭਰਦਾ ਜ਼ਖਮ ਸੀ ਤੇਰੀ ਗਰਦਨ ਦਾ
ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਨਿਸ਼ਾਨ ਹੋਊ ਤਨ ਉੱਤੇ
ਮੈਂ ਤਾਂ ਦਿਲੋਂ ਤੈਨੂੰ ਖੁਦਾ ਸੀ ਮੰਨਿਆ
ਛਾਈ ਖੁਦੀ ਰਹੀ ਤੇਰੇ ਮਨ ਉੱਤੇ
ਢਲ ਜਾਨੀ ਅੱਗ ਸ਼ਬਾਬ ਦੀ
ਹੋਰ ਕਿੰਨਾ ਗੁਮਾਨ ਕਰਲੇ ਗੀ
ਆਖਣ ਲੋਕ ਮੈਨੂੰ ਯਾਰ ਦਰਦਾਂ ਦਾ
ਏਦੂ ਵੱਧ ਵੀ ਕੀ ਨੁਕਸਾਨ ਕਰਲੇ ਗੀ
ਦੇਵਾਂ ਦਾਤ ਤੇਰੀ ਪ੍ਰਤੀਭਾ ਦੀ
ਮਤਲਬ ਵੀ ਪੂਰਾ ਕੀਤਾ ਤੇ ਰੀਝ ਵੀ
ਕਿਆ ਅਸੂਲ ਤੇਰੀ ਮੁਹੱਬਤ ਦਾ
ਮਰੀਦ ਵੀ ਬਣਾਇਆ ਤੇ ਮਰੀਜ਼ ਵੀ
ਰਾਤ ਨੇ ਵੀ ਤੇਰਾ ਸਾਥ ਦਿੱਤਾ
ਕਿੰਨਾ ਮਤਲਬੀ ਇਹ ਹਨੇਰਾ ਸੀ
ਦਿਲ ਨੂੰ ਪੁੱਛੀ ਕੈਸਾ ਸੀ ਵੇਲਾ
ਜਦ ਇਹਯੁਵਰਾਜਤੇਰਾ ਸੀ

Title: Kaisa c velaa || punjabi poetry on love