
Oh vakhri gall e bhute shikwe nahi krde asi..!!

Gal te ajh v ho jandi e, par gal teri ch hun pyaar ni haiga
beshak tu mainu chhadna ni chaunda, unjh dil ton tu mere naal ni haiga
bahut galtiyaa hoyiaa maithon, par galat me har vaar ni haiga
maneyaa tera kujh jaida hi karda me, par har ik ute me dull jaawa, inna bekaar ni haiga
ਗੱਲ ਤੇ ਅੱਜ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਏ, ਪਰ ਗੱਲ ਤੇਰੀ ਚ ਹੁਣ ਪਿਆਰ ਨੀ ਹੈਗਾ
ਬੇਸ਼ੱਕ ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਛੱਡਣਾ ਨੀ ਚਾਉਂਦਾ, ਉਂਝ ਦਿਲ ਤੋਂ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਨੀ ਹੈਗਾ
ਬਹੁਤ ਗਲਤੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਮੈਥੋਂ, ਪਰ ਗਲਤ ਮੈਂ ਹਰ ਵਾਰ ਨੀ ਹੈਗਾ
ਮੰਨਿਆ ਤੇਰਾ ਕੁਝ ਜਿਆਦਾ ਹੀ ਕਰਦਾ ਮੈਂ, ਪਰ ਹਰ ਇੱਕ ਉੱਤੇ ਮੈਂ ਡੁੱਲ ਜਾਵਾ, ਇੰਨਾ ਮੈਂ ਬੇਕਾਰ ਨੀ ਹੈਗਾ
बादशाह अकबर की यह आदत थी कि वह अपने दरबारियों से तरह-तरह के प्रश्न किया करते थे। एक दिन बादशाह ने दरबारियों से प्रश्न किया, “अगर सबकी दाढी में आग लग जाए, जिसमें मैं भी शामिल हूं तो पहले आप किसकी दाढी की आग बुझायेंगे?”
“हुजूर की दाढी की” सभी सभासद एक साथ बोल पड़े।
मगर बीरबल ने कहा – “हुजूर, सबसे पहले मैं अपनी दाढी की आग बुझाऊंगा, फिर किसी और की दाढी की ओर देखूंगा।”
बीरबल के उत्तर से बादशाह बहुत खुश हुए और बोले- “मुझे खुश करने के उद्देश्य से आप सब लोग झूठ बोल रहे थे। सच बात तो यह है कि हर आदमी पहले अपने बारे में सोचता है।”