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Hindi 2 Lines status

सेंटीमेंट आग से भी भयंकर।

आग जलाता है बाहर से, लेकिन वो रुलाता है अंदर।

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जिनको जल जाना होता है, उनको कौन रोकेगा।

ये आग नहीं, प्यार का अल्फा ओमेगा।

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जिंदगी नाव है, समय माझी।

बहता हु में, लहर की आवाज़ सुनोजी।

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लोग कहते है प्यार के साथ कविता जुड़े है।

प्यार जिंदगी का दूसरा नाम और जिंदगी कविता की रूप है।

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बहुत लोगों का प्यार टूट जाता है।

जीवन के साथ प्यार होता है समय का, यही प्रगति है।

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जिंदगी के मैदान में कितने सारे  हीरो खेलते है।

लेकिन सिर्फ एक विजेता इतिहास लिखते है।

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खुद को समझाओ, किसी को समझाना मुश्किल।

समय अदालत है, और वक्त वकील।

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कोरोना घातक है, लेकिन दरिद्रता नियति।

रोग में मरे बहुत, अब भूख के अगन में आत्माहुति।

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रिश्ते लहर की तरह।

उठती है, गिरती है, टूटती हे धारा।

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घर में लक्ष्मी है तो सब कुछ है।

धन उनकी रूप और सम्पद उनकी रूह है।

Title: Hindi 2 Lines status

Best Punjabi - Hindi Love Poems, Sad Poems, Shayari and English Status


Pyar🧿❤️ || love punjabi shayari

Punjabi love shayari || hasil krke ta koi ve pyar kar skdaa..Kise nu na miln de umeed ch ve chunde rhna Asli pyar hai....🧿❤️
hasil krke ta koi ve pyar kar skdaa..
Kise nu na miln de umeed ch ve chunde rhna 
Asli pyar hai….🧿❤️

Title: Pyar🧿❤️ || love punjabi shayari


Jaise ko taisa || panchtantar ki kahani

एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष सम्पत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । उसे एक महाजन के पास धरोहर रखकर वह विदेश चला गया । विदेश स वापिस आने के बाद उसने महाजन से अपनी धरोहर वापिस मांगी । महाजन ने कहा—-“वह लोहे की तराजू तो चूहों ने खा ली ।”
बनिये का लड़का समझ गया कि वह उस तराजू को देना नहीं चाहता । किन्तु अब उपाय कोई नहीं था । कुछ देर सोचकर उसने कहा—“कोई चिन्ता नहीं । चुहों ने खा डाली तो चूहों का दोष है, तुम्हारा नहीं । तुम इसकी चिन्ता न करो ।”
थोड़ी देर बाद उसने महाजन से कहा—-“मित्र ! मैं नदी पर स्नान के लिए जा रहा हूँ । तुम अपने पुत्र धनदेव को मेरे साथ भेज दो, वह भी नहा आयेगा ।”
महाजन बनिये की सज्जनता से बहुत प्रभावित था, इसलिए उसने तत्काल अपने पुत्र को उनके साथ नदी-स्नान के लिए भेज दिया ।
बनिये ने महाजन के पुत्र को वहाँ से कुछ दूर ले जाकर एक गुफा में बन्द कर दिया । गुफा के द्वार पर बड़ी सी शिला रख दी, जिससे वह बचकर भाग न पाये । उसे वहाँ बंद करके जब वह महाजन के घर आया तो महाजन ने पूछा—“मेरा लड़का भी तो तेरे साथ स्नान के लिए गया था, वह कहाँ है ?”
बनिये ने कहा —-“उसे चील उठा कर ले गई है ।”
महाजन —“यह कैसे हो सकता है ? कभी चील भी इतने बड़े बच्चे को उठा कर ले जा सकती है ?”
बनिया—“भले आदमी ! यदि चील बच्चे को उठाकर नहीं ले जा सकती तो चूहे भी मन भर भारी तराजू को नहीं खा सकते । तुझे बच्चा चाहिए तो तराजू निकाल कर दे दे ।”
इसी तरह विवाद करते हुए दोनों राजमहल में पहुँचे । वहाँ न्यायाधिकारी के सामने महाजन ने अपनी दुःख-कथा सुनाते हुए कहा कि, “इस बनिये ने मेरा लड़का चुरा लिया है ।”
धर्माधिकारी ने बनिये से कहा —“इसका लड़का इसे दे दो ।
बनिया बोल—-“महाराज ! उसे तो चील उठा ले गई है ।”
धर्माधिकारी —-“क्या कभी चील भी बच्चे को उठा ले जा सकती है ?”
बनिया —-“प्रभु ! यदि मन भर भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं तो चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है ।”
धर्माधिकारी के प्रश्‍न पर बनिये ने अपनी तराजू का सब वृत्तान्त कह सुनाया ।

सीख : जैसे को तैसा

Title: Jaise ko taisa || panchtantar ki kahani