Khuda ko bhul gye log fikr-e-rozi mein
Rizk kamane me razik ko bhul gye..
खुदा को भूल गए लोग फिक्र-ए-रोज़ी में
रिज़्क़ कमाने में राजिक को भूल गए..
Khuda ko bhul gye log fikr-e-rozi mein
Rizk kamane me razik ko bhul gye..
खुदा को भूल गए लोग फिक्र-ए-रोज़ी में
रिज़्क़ कमाने में राजिक को भूल गए..
कुछ अधूरे ख़्वाब जगा जाते हो,
मायूस चेहरे की मुस्कान जगा जाते हो...
सुबह पहली किरण भी तुम्हारी सादगी देखने आती है,
सांझ की रौशनी तुम्हारी जुल्फों में खो जाती है...
हवाएं तुमसे खुशबू लेकर चल रही हैं,
वो तितलियां भी तुम्हारे लबों सी खिल रही है...
कैसे बताऊं तुम्हे जैसे तुम इक किस्सा हो,
मेरी ज़िन्दगी हो मेरा इक हिस्सा हो...
shayer taa nahi haa me
bas do akhar bewafai de likhda haa
khaake dhokhe ishq de raah te
me bas jina sikda haa
ਸ਼ਾਇਰ ਤਾਂ ਨਹੀਂ ਹਾਂ ਮੈਂ
ਬੱਸ ਦੋ ਅਖਰ ਬੇਵਫ਼ਾਈ ਦੇ ਲਿਖਦਾ ਹਾਂ
ਖਾਕੇ ਧੋਖੇ ਇਸ਼ਕ ਦੇ ਰਾਹ ਤੇ
ਮੈਂ ਬੱਸ ਜਿਨਾ ਸਿਕਦਾ ਹਾਂ
—ਗੁਰੂ ਗਾਬਾ