इक इश्तहार छपा है अखबार में,
खुली सांसे भी बिकने लगी बाज़ार में,
रूह भी निचोड़ ली उसकी,
काट दी ज़बान बेगुनाह की,
मसला कुछ ज़रूरी नहीं,
बस थोड़ी बहस चलती है सरकार में...
इक इश्तहार छपा है अखबार में,
खुली सांसे भी बिकने लगी बाज़ार में,
रूह भी निचोड़ ली उसकी,
काट दी ज़बान बेगुनाह की,
मसला कुछ ज़रूरी नहीं,
बस थोड़ी बहस चलती है सरकार में...
Hall ta tu kar koi kol aun de
Kar khayal mehboob da ik vaar hun😇..!!
Udeeka nu v rehndi e udeek teri sajjna
Akhiya v ho jaan Nam baar baar hun♥️..!!
ਹੱਲ ਤਾਂ ਤੂੰ ਕਰ ਕੋਈ ਕੋਲ ਆਉਣ ਦੇ
ਕਰ ਖਿਆਲ ਮਹਿਬੂਬ ਦਾ ਇੱਕ ਵਾਰ ਹੁਣ😇..!!
ਉਡੀਕਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਰਹਿੰਦੀ ਉਡੀਕ ਤੇਰੀ ਸੱਜਣਾ
ਅੱਖੀਆਂ ਵੀ ਹੋ ਜਾਣ ਨਮ ਬਾਰ ਬਾਰ ਹੁਣ♥️..!!
