इक इश्तहार छपा है अखबार में,
खुली सांसे भी बिकने लगी बाज़ार में,
रूह भी निचोड़ ली उसकी,
काट दी ज़बान बेगुनाह की,
मसला कुछ ज़रूरी नहीं,
बस थोड़ी बहस चलती है सरकार में...
Enjoy Every Movement of life!
इक इश्तहार छपा है अखबार में,
खुली सांसे भी बिकने लगी बाज़ार में,
रूह भी निचोड़ ली उसकी,
काट दी ज़बान बेगुनाह की,
मसला कुछ ज़रूरी नहीं,
बस थोड़ी बहस चलती है सरकार में...
ਤਕਦੀਰ ਉਤੇ ਰੱਬਾ ਸਾਡਾ ਜੋਰ ਕੋਈ ਨਾ
ਤੇਰੇ ਤੋਂ ਵਗੈਰ ਸਾਡਾ ਹੋਰ ਕੋਈ ਨਾ
ਜਿਥੇ ਜਿਥੇ ਸੀਸ ਮੈਂ ਝੁਕਾਵਾਂ ਮਾਲਕਾ
ਉਥੇ ਤੇਰਾ ਹੀ ਦੀਦਾਰ ਬਸ ਪਾਵਾਂ ਮਾਲਕਾ ☝
तुझे देखने की ख्वाहिश ले के घर से तो निकल पड़ता हूँ…
यही सोच के कि तू आज मिलेगी जरूर…
पर इस दिल को क्या पता है… कि तू उसे भूल चुकी हैं…
यूँ तो तेरा हर बार का मुस्कुराना इन
हवाओं और फिज़ाओ में बसा हैं…
ये हवा जब भी तुझे छूकर गुजरती है…
ना चाहते हुए भी तू याद आ ही जाती है।