
Seene te lgge fattan ne..!!
“Roop” ishqe de raahan nu ohi pchanan
jinna khadiyan dhungiya satta ne..!!
ਅਹਿਸਾਸ ਕਰਾਇਆ ਰੂਹਾਨੀਅਤ ਦਾ
ਸੀਨੇ ਤੇ ਲੱਗੇ ਫੱਟਾਂ ਨੇ..!!
“ਰੂਪ” ਇਸ਼ਕੇ ਦੇ ਰਾਹਾਂ ਨੂੰ ਓਹੀ ਪਛਾਨਣ
ਜਿੰਨਾਂ ਖਾਧੀਆਂ ਡੂੰਘੀਆਂ ਸੱਟਾਂ ਨੇ..!!

नींद बेचैनी से कटती रही
ख्वाब कोहरे मे छुपती रही
तेरी आवाज़ से मैं अनसुनी रही
तु मिला न कही मंज़िलों पे
मैं भटकती भटकती
तुझे ढूंढती रही
तेरा मेरा रिश्ता इन
काग़ज़ों पे खत्म हो गया
साथ तेरा मेरा युं सिमट सा गया
जैसे चार दिवारी में बंध सा गया
तेरी बातों को मैं याद करता
तेरी हँसी को मैं याद करता
हमारे उन्ही हसीन पलो को
हररोज सजाया करता