
ਬਸ ਇੱਕ ਤੁਪਕਾ ਬਿਆਨ ਕੀਤਾ ਸੀ ਉਸਨੂੰ
ਤੇ ਉਸਦੀ ਖੁਸ਼ੀ ਦਾ ਕੋਈ ਠਿਕਾਣਾ ਨਹੀਂ ਸੀ..
ਮਨ ‘ਚ ਸਵਾਲ ਆਉਂਦਾ ਏ
ਜੇ ਪੂਰਾ ਸਮੁੰਦਰ ਬਿਆਨ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਸਦਾ ਕੀ ਹਾਲ ਹੋਵੇਗਾ..”
Enjoy Every Movement of life!
ki likhiyaa kise mukkadar c
hathan diyaan chaar lakiraan da
me dard nu kaba keh baitha
te rabb naa rakh baitha peedha da
अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे,
जिसको न मिले वही ढूंढे ..
रात आयी है, सुबह भी होगी,
आधी रात में कौन सुबह ढूंढे..
जिंदगी है जी खोल कर जियो,
रोज़ रोज़ क्यों जीने की वजह ढूंढ़े..
चलते फिरते पत्थरों के शहर में,
पत्थर खुद पत्थरों में भगवान ढूंढ़े..
धरती को जन्नत बनाना है अगर,
हर शख्स खुद में पहले इंसान ढूंढे…!!!