जब तुम्हारी याद आए, हम चाँद को निहार लेते हैं,
जो बातें तुमसे ना कह पाए, वे उसको सुनाने लगते हैं,
लगता है, कोई पुराना रिश्ता तुमसे,
जब भी तुमसे मिलते हैं, हम मुस्कुराने लगते हैं।
जब तुम्हारी याद आए, हम चाँद को निहार लेते हैं,
जो बातें तुमसे ना कह पाए, वे उसको सुनाने लगते हैं,
लगता है, कोई पुराना रिश्ता तुमसे,
जब भी तुमसे मिलते हैं, हम मुस्कुराने लगते हैं।
Sara shehar likh diya ik kagaz mein,
Jise padhta gaya use mitata gya,
Aks mila bhi to khali maikhane mein,
Khudko pdhta gya khudko pilata gaya…
सारा शहर लिख दिया इक काग़ज़ में,
जिसे पढ़ता गया उसे मिटाता गया,
अक्स मिला भी तो खाली मयखाने में,
खुदको पढ़ता गया खुदको पिलाता गया….