झपकियां ले लेकर थक चुकी है ज़िंदगी, आंखों को नींद का सहारा चाहिए और सपनों को उसकी बाहों का....
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झपकियां ले लेकर थक चुकी है ज़िंदगी, आंखों को नींद का सहारा चाहिए और सपनों को उसकी बाहों का....
Kaisi saza hai yeh,
Na woh mera ho raha hai,
Na hi mein usse door ja pa raha hoon😐
कैसी सज़ा है यह
न वो मेरा हो रहा है
न ही में उससे दूर जा पा रहा हूँ😐