झपकियां ले लेकर थक चुकी है ज़िंदगी, आंखों को नींद का सहारा चाहिए और सपनों को उसकी बाहों का....
झपकियां ले लेकर थक चुकी है ज़िंदगी, आंखों को नींद का सहारा चाहिए और सपनों को उसकी बाहों का....
वो कहते हैं आगे चलके हमें भूल जाएंगे|
शायद कभी जिंदगी में मिल ही नहीं पाएंगे||
कैसे गुजारेंगे हम जिंदगी उनके बिना,
अगर वो बीच राह में हमें यू छोड़ जाएंगे||
सोचा नहीं उन्होंने हमारे बारे में एक दफा,
कि क्या होगा हमारा जब वे हमें भूल जाएंगे||
उन्होंने तो बड़ी आसानी से कह दी ये बात,
अब जरा उनसे कोई पूछो कि उनके बगैर हम कैसे रह पाएंगे||