जिन्हें मोहब्बत थी मेरी मुस्कानों से
वे आज मेरा जिस्म चाहने लगे हैं
जो चाहते थे मैं हमेशा मुस्कुराऊं
वे आज मेरी मुस्कान ही छीनने लगे हैं
Enjoy Every Movement of life!
जिन्हें मोहब्बत थी मेरी मुस्कानों से
वे आज मेरा जिस्म चाहने लगे हैं
जो चाहते थे मैं हमेशा मुस्कुराऊं
वे आज मेरी मुस्कान ही छीनने लगे हैं
कभी थकन के असर का पता नहीं चलता
वो साथ हो तो सफ़र का पता नहीं चलता
वही हुआ कि मैं आँखों में उसकी डूब गया
वो कह रहा था भँवर का पता नहीं चलता
उलझ के रह गया सैलाब कुर्रए-दिल से
नहीं तो दीदा-ए-तर का पता नहीं चलता
उसे भी खिड़कियाँ खोले ज़माना बीत गया
मुझे भी शामो-सहर का पता नहीं चलता
ये मंसबो का इलाक़ा है इसलिए शायद
किसी के नाम से घर का पता नहीं चलता