
Chal “roop” es ton parda kariye..!!
Ho diwane yaar de ishqe vich
Chal mar jiwiye jionde jee mariye..!!
yaadan teriyaan nu main
nit hanjuaan de mankiyaan vich parowan
nj teriyaan daan vich ditiyaan peedan nu
main saari raat hik naal la k rowan
आग को बुझा देता है क्रोध ।
आग जलते है हवा में, लेकिन चिंगारी में जलता है क्रोध।
……………………………………………
अपना कविता किसी को मत पढ़ाओ।
अगर कोई पढ़ना चाहते है, उसे सच ढूंढ़ने के लिए बताओ।
………………………………………….
जबाब हर बात पे मत दो।
सिर्फ वक्त का इंतज़ार करो।
…………………………………….
जब बन रहे हों, सुनना पड़ता हैं।
जब बन गये हों, लोग सुनने आते हैं।
………………………………………
रिश्ते आसमान की रूप।
आज बारिश, कल धूप।
……………………………………..
बात लहर की तरह।
जनम देती रिश्ते, टूटती भी रिश्ते, सोचो ज़रा।
………………………………………..
मैदान में जितना राजनीती होता है, उससे भी ज्यादा होता है घर पर।
घर का बाप ही बनता है नेता, नेता पैदा भी होता हे घर पर।
……………………………………..
जो तुम्हे पाता है, वो किसी को मत बताओ।
समय में प्रयोग करो, नहीं तो लोग समझेंगे के तुम मुर्ख हो।