Jra Si Himmat Agr Ho Honslo Me…
Chali Aati Hai Manzil Thokro Me…
Jra Si Himmat Agr Ho Honslo Me…
Chali Aati Hai Manzil Thokro Me…
Kehndi apne alfaaza vich na mera zikar kareyaa kar
Me khush haan aive na mera fikar kareyaa kar
apne dowa di kahani nu akhraan vich na jadheyaa kar
likh likh yaadan nu injh na kitaaban bhareyaa kar
ਕਹਿੰਦੀ ਅੱਪਣੇ ਅਲਫ਼ਾਜ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਨਾ ਮੇਰਾ ਜਿਕਰ ਕਰਿਆ ਕਰ
ਮੈਂ ਖੁਸ਼ ਹਾਂ ਐਵੇਂ ਨਾ ਮੇਰਾ ਫਿਕਰ ਕਰੀਆ ਕਰ
ਅੱਪਨੇ ਦੋਵਾਂ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਨੂੰ ਅੱਖਰਾਂ ਵਿੱਚ ਨਾ ਜੜਿਆ ਕਰ
ਲਿਖ ਲਿਖ ਯਾਦਾਂ ਨੂੰ ਇੰਝ ਨਾ ਕਤਾਬਾਂ ਭਰਿਆ ਕਰ
चलो किसी पुराने दौर की बात करते हैं,
कुछ अपनी सी और कुछ अपनों कि बात करते हैं…
बात उस वक्त की है जब मेरी मां मुझे दुलारा करती थी,
नज़रों से दुनिया की बचा कर मुझे संवारा करती थी,
गलती पर मेरी अकेले डांट कर पापा से छुपाया करती थी,
और पापा के मुझे डांटने पर पापा से बचाया करती थी…
मुझे कुछ होता तो वो भी कहाँ सोया करती थी,
देखा है मैंने,
वो रात भर बैठकर मेरे बाल संवारा करती थी,
घर से दूर आकर वो वक्त याद आता है,
दिन भर की थकान के बाद अब रात के खाने में, कहां मां के हाथ का स्वाद आता है,
मखमल की चादर भी अब नहीं रास आती है,
माँ की गोद में जब सिर हो उससे अच्छी नींद और कहाँ आती है…