कभी तेजी रखू, सफर में कभी मैं, ढलने लगता हूं..
कभी ठहर जाऊ, एक जगह कभी बस, चलने लगता हूं..
मंजिल का अता और पता नहीं, फासला सफर का जरा बढ़ गया..
सोच कर कमाई बस, सफर की हथेलियों को, मालने लगता हूं..
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कभी तेजी रखू, सफर में कभी मैं, ढलने लगता हूं..
कभी ठहर जाऊ, एक जगह कभी बस, चलने लगता हूं..
मंजिल का अता और पता नहीं, फासला सफर का जरा बढ़ गया..
सोच कर कमाई बस, सफर की हथेलियों को, मालने लगता हूं..
Mujhe sukun aa jaye uske bina….
Ki saari jannat…
Yahi muyassar ho jaye…❤️
मुझे सुकून आ जाए उसके बिना….
कि सारी जन्नत…
यहीं मुयस्सर हो जाये…❤️