Title: kakh
kakh was last modified: September 24th, 2015 by Gagan
Well done is better than well said
Koun rakhega yaad hame is daur-e-khudgarzi mein
Haalat aise hai ki logo ko khuda yad nahi rehta💯
कौन रखेगा याद हमे इस दौर-ए-खुदगरज़ी में
हालत ऐसे है कि लोगो को खुदा याद नहीं रहता💯
उल्टे सीधे सपने पाले बैठे हैं
सब पानी में काँटा डाले बैठे हैं
इक बीमार वसीयत करने वाला है
रिश्ते नाते जीभ निकाल बैठे हैं
बस्ती का मामूल पे आना मुश्किल है
चौराहे पर वर्दी वाले बैठे हैं
धागे पर लटकी है इज़्ज़त लोगों की
सब अपनी दस्तार सँभाले बैठे हैं
साहब-ज़ादा पिछली रात से ग़ायब है
घर के अंदर रिश्ते वाले बैठे हैं
आज शिकारी की झोली भर जाएगी
आज परिंदे गर्दन डाले बैठे हैं