जो ज़ख्म देता है मरहम उसी का काम है
लोग कितना ही मरहम क्यों न लगा दे कम ही लगता है
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जो ज़ख्म देता है मरहम उसी का काम है
लोग कितना ही मरहम क्यों न लगा दे कम ही लगता है
मनाता हूं तो मान जाती है, फितरत तो आज भी वैसी है..
जहां जाकर भी वो मुझे ना भूली, ना जाने वो दुनिया कैसी है..
ना कर सका अलग उसे खुदा भी मुझसे, मेरे प्यार की ताकत ऐसी है..
उसके बाद ना मिला मुझे कोई भी ऐसा, जिसे कह सकूँ के उसके जैसी है..
Har bar satati he zindagi
khush hone k foran bad rulati he zindagi
kabhi gam me khushi ka dikhava he zindagi
kabhi khushi me gamzada he zindagi🙌
हर बार सताती है ज़िन्दगी
खुश होने के फौरन बाद रुलाती है जिंदगी
कभी गम में खुशी का दिखावा है जिंदगी
कभी खुशी में ग़मज़दा है जिंदगी🙌