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Falak Naaz

मैं लफ़्ज़ों से खेलती हूं, लोगो के जज्बातों से

Kam hi lagta hai || Sad Shayari

जो ज़ख्म देता है मरहम उसी का काम है

लोग कितना ही मरहम क्यों न लगा दे कम ही लगता है

Falak Naaz

मैं लफ़्ज़ों से खेलती हूं, लोगो के जज्बातों से