अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
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अब काश मेरे दर्द की कोई दवा न हो
बढ़ता ही जाये ये तो मुसल्सल शिफ़ा न हो
बाग़ों में देखूं टूटे हुए बर्ग ओ बार ही
मेरी नजर बहार की फिर आशना न हो
इक बात दिल मे आती है देखू उसे जितनी दफा।
हमने तो मोहब्बत के किस्से सुने थे अब तो दोस्त भी होते है बेबफा ।।
ik baat dil me aati hai dekhu use jitni dafaa
hamne to mohobat ke kisse sune the ab to dost bhi hote hai bewafa