Koi Ajeha sheesha v bna de rabba
jis vich
insaan da chehra na
usda kirdaar dise
ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਸ਼ੀਸ਼ਾ ਵੀ ਬਣਾ ਦੇ ਰੱਬਾ
ਜਿਸ ਵਿੱਚ
ਇਨਸਾਨ ਦਾ ਚਹਿਰਾ ਨਾ
ਉਸਦਾ ਕਿਰਦਾਰ ਦਿਸੇ
Koi Ajeha sheesha v bna de rabba
jis vich
insaan da chehra na
usda kirdaar dise
ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਸ਼ੀਸ਼ਾ ਵੀ ਬਣਾ ਦੇ ਰੱਬਾ
ਜਿਸ ਵਿੱਚ
ਇਨਸਾਨ ਦਾ ਚਹਿਰਾ ਨਾ
ਉਸਦਾ ਕਿਰਦਾਰ ਦਿਸੇ
कॉलेज तक हम पर ना पढ़ाई की जिम्मेदारी रहती है , और उसके बाद घर की जिम्मेदारी आ जाती है । अपने सपनो को रख कर एक तरफ , अपनो के सपनो को पूरा करने की जिम्मेदारी आती है । क्या करे कोई अगर लाखो की भीड़ में एक शख्स अच्छा लगे , तो उसे भी ठुकराना पड़ता है । प्यार व्यार सब अच्छा नही यही बताकर दिल को अपने मनाना पड़ता है , कभी पढ़ाई की तो कभी घर की जिम्मेदारी से दिल उदास भी हो तो सामने रह कर सबके चेहरे से तो मुस्कुराना पड़ता है । हर किसी को परेशानी अपनी खुद ही पता होती है , वरना दूसरो को खुश चेहरा ही दिखता है । खुद के अलावा किसी को क्या पता की कोन रोज यहां कितनी मुश्किलों में उलझता सा है , छोटा मोटा काम करके घर का खर्चा निकालना होता है । कभी कभी नौबत ऐसी आती है की दस या पंद्रह हजार में , महीना सारा संभालना पड़ता है । यहां से वहा से ले लेकर बच्चो की ख्वाईशे भी पूरी करनी पड़ती है , कोई साथ नही देता यार यहां जिंदगी की ये लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है ।