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Shayari | Latest Shayari on Hindi, Punjabi and English

nahi hai saboot ke me || 2 lines shayari

Nahi hai saboot ke begunaah hu me
logo ne baato baato me mujhe gunehgaar bna diya
नहीं है सबूत के बेगुनाह हूं मैं,
लोगो ने बातों बातों में मुझे गुनहगार बना दिया...

Me akela nahi hu || hindi shayari

पाव उठाऊ तो हर कदम पे एक दरिया जकड़ लेता है
गिराकर मुझे हरबार हवाओं से मिलकर अकड़ लेता है,
छोड़ दूं मुठ्ठी भर सपने मैं बुजदिल नही,
मान जाए तन मेरा पर मेरा दिल नहीं,
हर मोड़ पर मुझे ऐसे ही सताएंगे,
गिराकर मुझे खुद मुस्कुराएंगे,
तुम्हारे लिए मैं पहला नहीं हूं,
सुनो,
बहुत हिम्मत है मुझमें मैं अकेला नहीं हूं...

Har waqt aansu || dard shayari

कब्र दर कब्र इक इश्तिहार जा रहा है,
अपना था कोई वो जो दूर जा रहा है,
मोहब्बत सही, इश्क सही, पास नहीं है अब,
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...
जो अपने थे वो चले गए....
हर वक्त आंसू पोंछने कोई पास आ रहा है,
मालूम है वो भी चला जायेगा फिर आंसू देकर,
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...
मतलबी, बेशर्म, बेईमान है दुनिया सारी
मालूम है की जीने नहीं देगी... देखो...
मेरी कब्र से भी मेरा इश्तिहार आ रहा है...
जोगी इसी धुन में कोई गीत गा रहा है...

TU kyu use is kadar || hindi kavita

तू क्यूं उसे इस क़दर तांक रहा है,

हां वही फकीर, जो वहां नाच रहा है…

मुस्कुरा रहा है तू उसकी फटी कमीज़ देखकर,

देख, वो भी हंस रहा है तेरी तमीज़ देखकर…

सोच मत, के उसकी किस्मत तुझसे हारी है,

उसकी खाली जेब तेरे पैसों से ज्यादा भारी है…

वो तो हर घर दुआएं बांटता है,

जैसे हर दर खुदाए बांटता है…

मखमल का बिछौना तुझे रास नहीं आता,

देख, वो घास में सोने से बाज़ नहीं आता…

छुपाता है तू असलियत झूठी मुस्कान के पीछे,

कितना सुकून है उसकी हर मुस्कान के पीछे…

Mohtaaz nahi hu ishq ka || shayari

मोहताज नही हूं इश्क का,
दिल मेरा फिर भी धड़कता है,
तसल्ली देती होगी धड़कने तुम्हारी,
तुम मेरे सुकून का कद क्या जानो....

Kis harm me jaati hogi || hindi rooh shayari

किस हरम में जाती होगी रूह,
ये जिस्म छोड़ने के बाद, पता नही...
लगता है वहां सुकून बहुत मिलता होगा,
वरना हर किसी का मुकद्दर वही नही होता...

Yeh zaroori toh nahi || Hindi shayari

पसंद था जो फूल फिर खिल जाए,
ये जरूरी तो नहीं...
उदासी दूर करने के लिए कोई साथ हो,
ये जरूरी तो नहीं...
जरूरी है कुछ ऐसा करो के,
हर रूह मुस्कुराती रहे...
हर किस्से को मंजिल मिल जाए,
ये जरूरी तो नहीं...

Uthe the hath jinke || hindi shayari

उठे थे हाथ जिनके,
उन्ही दुआओं का असर हूं,
चिराग़ सी हैं नज़रें मेरी
जैसे सुबह की पहली पहर हूं
धूल से ही तो नाता है मेरा
वहीं ठंडी हवाओं में बसर हूं
कलम से शायर कह दो
होंठों से कहर हूं,
ठहरा है दरिया जो किनारे में
वहीं बहता छोटा सा शहर हूं,
मानों तो प्यास मिले
ना मानों तो ज़हर हूं...