अब बस लिख के मिटा हम देते हैं, अपने ही शब्दों के जाल को..
क्यूंकि अब डायरी भी समझ नहीं पाती है, मेरे मन में चलते ख्याल को..
अब पन्ने भी मेरी कलम की स्याही से, बस दूर सा होना चाहते हैं..
अब बताएं भी तो आखिर किसे बताएं, अपने इस बिगडते हाल को..
अब बस लिख के मिटा हम देते हैं, अपने ही शब्दों के जाल को..
क्यूंकि अब डायरी भी समझ नहीं पाती है, मेरे मन में चलते ख्याल को..
अब पन्ने भी मेरी कलम की स्याही से, बस दूर सा होना चाहते हैं..
अब बताएं भी तो आखिर किसे बताएं, अपने इस बिगडते हाल को..
Meri har khushi 🥺😁har baat teri hai..
Sanso main chupi ye Hayat teri hai….
Do pal 💞 bhi nahi rahe sakte tere bina….
Dhadkano ❤️ki dhadkati 💓 har awaz teri hai.
मेरी हर खुशी 🥺😁 हर बात तेरी है
साँसों में छुपी ये हयात तेरी है
दो पल 💞 भी नहीं रह सकते तेरे बिना
धड़कनों ❤की धड़कती 💓 हर आवाज़ तेरी है..
याद है ना तुम्हें..
पहली दफा,
जब कलम मेरी बोली थी
तुम पर शब्दों की कुछ लड़ियां
मैंने पिरोई थी।
तुम्हारे गुजरे पलों में बेशक मैं नहीं थी
तुम्हारे संग भविष्य की अपेक्षा भी नहीं थी
हां,वर्तमान के कुछ चंद क्षण
साझा करने की ख्वाहिश जरुर थी।
याद है ना तुम्हें..
पहली दफा,
जब कलम मेरी बोली थी
तुम पर शब्दों की कुछ लड़ियां
मैंने पिरोई थी।
देखो, आज फिर उंगलियों ने मेरी
कलम उठाई है
कुछ अनसुनी भावनाओं को संग अपने
समेट लाई है
माना ,मेरे शब्दों ने आहत किया तुम्हें
लेकिन क्या,असल भाव को पहचाना तुमने?
याद है ना तुम्हें..
पहली दफा,
जब कलम मेरी बोली थी
तुम पर शब्दों की कुछ लड़ियां
मैंने पिरोई थी।
उलझ गए तुम निरर्थक शब्दों में
पढ़ा नहीं जो लिखा है कोमल हृदय में
चल दिए छोड़ उसे, तुम अपनी अना में
बंधे थे हम तुम, जिस अनदेखे रिश्ते की डोर में
याद है ना तुम्हें..
पहली दफा,
जब कलम मेरी बोली थी
तुम पर शब्दों की कुछ लड़ियां
मैंने पिरोई थी।
बीत गए कई बारिश के मौसम
क्या धुले नहीं, जमे धूल मन के?
है अर्जी मेरी चले आओ तुम
मेरे भीतर के तम को रोशनी दिखाओ तुम..
याद है ना तुम्हें..
पहली दफा,
जब कलम मेरी बोली थी
तुम पर शब्दों की कुछ लड़ियां
मैंने पिरोई थी।