धड़कनों की सिफारिश पर हम चाय पर गए
वरना वो गुलाबी शाम हमसे कजा न होता
अब सामने ही बैठा है महबूब तो क्या बात करे हम
निगाहे बात कर लेता तो वो खफा न होता
धड़कनों की सिफारिश पर हम चाय पर गए
वरना वो गुलाबी शाम हमसे कजा न होता
अब सामने ही बैठा है महबूब तो क्या बात करे हम
निगाहे बात कर लेता तो वो खफा न होता
Ik dua di aas vich me saari raat jageyaan
par koi taraa ambron na tutteya
jisdi tasveer me naina ch sambhi baitha
ohne kade sadha haal na puchheya
ਇਕ ਦੁਆ ਦੀ ਆਸ ਵਿਚ ਮੈਂ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਜਾਗਿਆਂ
ਪਰ ਕੋਈ ਤਾਰਾ ਅੰਬਰੋਂ ਨਾ ਟੁਟਿਆ
ਜਿਸਦੀ ਤਸਵੀਰ ਮੈਂ ਨੈਣਾਂ ‘ਚ ਸਾਂਭੀ ਬੈਠਾ
ਉਹਨੇ ਕਦੇ ਸਾਡਾ ਹਾਲ ਵੀ ਨਾ ਪੁਛਿਆ
मैं ख्वाबों से निकल कर हकीकत में आऊं,
तुम हाथ अगर बढ़ाओ तो मैं दिल से बात बढ़ाऊं,
अगर मगर काश में कब तक रहेंगे,
बात जो दिल में न जाने कब से अल्फाजों में उसे समझाउ,
माना बहुत अलग है किरदार हम दोनों के,
तुम अगर बोलो तो अलग अलग किरदार से खूबसूरत साहित्य अपना लिख जाउ❤️