बिन मंजिल का मुसाफिर उसे दर ब_दर भटकना पड़ा
तपती सहराव में नंगे पांव चला ही चलना पड़ा
ता_उम्र उसने खुदा का शुक्र ही अदा किया उसने
मोहब्बत का मरीज__दुआ में मौत मांगा पड़ा
Enjoy Every Movement of life!
बिन मंजिल का मुसाफिर उसे दर ब_दर भटकना पड़ा
तपती सहराव में नंगे पांव चला ही चलना पड़ा
ता_उम्र उसने खुदा का शुक्र ही अदा किया उसने
मोहब्बत का मरीज__दुआ में मौत मांगा पड़ा
Pehle vishvaas jeetkar dil mein samate hain log
Fir khuab bankar sapno mein aate hain log
Fir jatate hai ke vo sirf hamare hai
Par pta nahi kyu akhir mein badal jate hain log 💯💔
पहले विश्वास जीतकर दिल में समाते हैं लोग॥
फिर ख्वाब बनकर सपनों में आते हैं लोग॥
फिर जताते हैं कि वो सिर्फ हमारे हैं॥
पर पता नहीं क्यों आखिर में बदल जाते हैं लोग॥💯💔