बिन मंजिल का मुसाफिर उसे दर ब_दर भटकना पड़ा
तपती सहराव में नंगे पांव चला ही चलना पड़ा
ता_उम्र उसने खुदा का शुक्र ही अदा किया उसने
मोहब्बत का मरीज__दुआ में मौत मांगा पड़ा
Enjoy Every Movement of life!
बिन मंजिल का मुसाफिर उसे दर ब_दर भटकना पड़ा
तपती सहराव में नंगे पांव चला ही चलना पड़ा
ता_उम्र उसने खुदा का शुक्र ही अदा किया उसने
मोहब्बत का मरीज__दुआ में मौत मांगा पड़ा
किसी ने अच्छा,किसी ने बुरा बताया है
मेरे बारे जिसने जो सुना,वही सुनाया है
हम दोनो के दिन पर,टंगी है एक तख्ती
उसने सावधान, हमने खतरा लगाया है
हम जब जब बढ़े हैं,तो गिराया है उसने
वो जब जब गिरा, हमने हाथ बढ़ाया है
भैरव,मेरा कोहिनूर,ये पूछ रहा है हमसे
अरे क्यूं नाम के आगे,फ़कीर लगाया है
