बिन मंजिल का मुसाफिर उसे दर ब_दर भटकना पड़ा
तपती सहराव में नंगे पांव चला ही चलना पड़ा
ता_उम्र उसने खुदा का शुक्र ही अदा किया उसने
मोहब्बत का मरीज__दुआ में मौत मांगा पड़ा
Well done is better than well said
बिन मंजिल का मुसाफिर उसे दर ब_दर भटकना पड़ा
तपती सहराव में नंगे पांव चला ही चलना पड़ा
ता_उम्र उसने खुदा का शुक्र ही अदा किया उसने
मोहब्बत का मरीज__दुआ में मौत मांगा पड़ा
दिल में उजाले थे, पर आँखों में अंधेरा है,
ज़िन्दगी की राहों में तन्हाईयों का फेरा है।
खोये हुए सपनों की रेखाएं हैं यहाँ,
हंसते हुए चेहरों के पीछे आहों का देरा है।💔