इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है।❤️
Enjoy Every Movement of life!
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है।❤️
kinaare par tairane vaalee laash ko dekhakar ye samajh aaya,
bojh shareer ka nahee saanson ka tha…
किनारे पर तैरने वाली लाश को देखकर ये समझ आया,
बोझ शरीर का नही साँसों का था…