Wo mile, baat kiye, fir thukraa ke chal diye
ham baithe, jraa roye, fir muskuraa ke chal diye
वो मिले, बात किए, फिर ठुकरा के चल दिए।
हम बैठे, जरा रोए, फिर मुस्कुरा के चल दिए।
हर्ष ✍️
Wo mile, baat kiye, fir thukraa ke chal diye
ham baithe, jraa roye, fir muskuraa ke chal diye
वो मिले, बात किए, फिर ठुकरा के चल दिए।
हम बैठे, जरा रोए, फिर मुस्कुरा के चल दिए।
हर्ष ✍️
ये रिश्तों के सिलसिले
इतने अजीब क्यों हैं,
जो हिस्से नसीब में नहीं
वो दिल के करीब क्यों हैं,
ना जाने कैसे लोगों को
मिल जाती है उनकी चाहत,
आख़िर किस से पूछे
हम इतने बदनसीब क्यों हैं।
कोई बुतखाने में तो कोई महखाने में सच्चे होते है….
लोग वो है जो जबान के पक्के होते है….
वो महीने भर से भूखी है, खुदा पाने के लिए,
हमारे लिए जिसके पांव के बिच्छु ही मक्के होते है….
मुक्कमल हो इश्क तो बिस्तर पर खत्म हो जाता है,
इसलिए इश्क, रास्ते और किस्से अधूरे ही अच्छे होते है….
हर्ष✍️