Na samaaj hunda, na oh log
jo ishq to wafa de umeed rakhde ne
Na samaaj hunda, na oh log
jo ishq to wafa de umeed rakhde ne
जाने कहाँ बैठकर देखती होगी, वो आज जहां भी रहती है..
नाराज़ है वो किसी बात को लेकर, सपनों में आकर कहती है..
मैं याद नहीं करता अब उसको, चुप-चाप देखकर सहती है..
वो चली गई भले दुनिया से, मेरे ज़हन में अब भी रहती है..
उसे चाहता हूँ पहले की तरह, ये तो वो आज भी कहती है..
किसी और संग मुझे देख-ले गर जो, वो आज भी लड़ती रहती है..
ना वो भूली ना मैं भुला, भले भूल गई दुनिया कहती है..
रहती थी पहले भी पास मेरे, मेरे साथ आज भी रहती है..
Zindagi nu inna v sasta na banao
ke do kaudi da insaan
ohde naal khed k chla jawe
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨੂੰ ਐਨਾ ਵੀ ਸਸਤਾ ਨਾ ਬਣਾਓ
ਕਿ ਦੋ ਕੌੜੀ ਦਾ ਇਨਸਾਨ
ਉਹਦੇ ਨਾਲ ਖੇਡ ਕੇ ਚਲਾ ਜਾਵੇ