किसान कविता
बूँद बूँद को तरसे जीवन,
बूँद से तड़पा हर किसान
बूँद नही हैं कही यहाँ पर
गद्दी चढ़े बैठे हैवान.
बूँद मिली तो हो वरदान
बूँद से तरसा हैं किसान
बूँद नही तो इस बादल में
देश का डूबा है अभिमान
बूँद से प्यासा हर किसान
बूँद सरकारों का फरमान
बूँद की राजनीति पर देखों
डूब रहा है हर इंसान.
देव चौधरी
Waah ! Oye sajjna tere ishq da asool
Galti teri howe ja meri
Saza menu hi karni pawe qubool💔..!!
ਵਾਹ ! ਓਏ ਸੱਜਣਾ ਤੇਰੇ ਇਸ਼ਕ ਦਾ ਅਸੂਲ
ਗਲਤੀ ਤੇਰੀ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਮੇਰੀ
ਸਜ਼ਾ ਮੈਨੂੰ ਹੀ ਕਰਨੀ ਪਵੇ ਕਬੂਲ💔..!!