नज़रें उठा कर देखने वालों का क़त्ल कर, वो एक फूल रख जाते हैं,
कयामत हैं अदाएं और जाते वक्त, अपना गुनाह कबूल कर जाते हैं,
वाकिफ है ज़माना उसके क़त्ल ए आम के हुनर से, लेकिन,
अक्सर आशिक नज़रें उठा कर उसके सामने, वही भूल कर आते है...
वो उनका कत्ल कर बस एक फूल रख जाते हैं....