प्यार था और रहेगा भी..लेकिन बस अब बार बार टूटने की हिम्मत खत्म हो गयी है डर में नही जी सकते के कब कौन बीच रास्ते साथ छोड़ जाए अकेले का सफर कठिन है जानती हूँ पर किसी के साथ रहकर भी तन्हा महसूस करना ज़्यादा बुरा लगता है 😔
प्यार था और रहेगा भी..लेकिन बस अब बार बार टूटने की हिम्मत खत्म हो गयी है डर में नही जी सकते के कब कौन बीच रास्ते साथ छोड़ जाए अकेले का सफर कठिन है जानती हूँ पर किसी के साथ रहकर भी तन्हा महसूस करना ज़्यादा बुरा लगता है 😔
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
वीराँ है मैकदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास है
तुम क्या गये के रूठ गये दिन बहार के
इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन
देखे हैं हमने हौसले परवर-दिगार के
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के
भूले से मुस्कुरा तो दिये थे वो आज ‘फ़ैज़’
मत पूछ वलवले दिलए-ना-कर्दाकार के
