टूटे हुए काँच की तरह
चकनाचूर हो गए,
किसी को लग ना जाये
इसलिए सबसे दूर हो गए🥺।।
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टूटे हुए काँच की तरह
चकनाचूर हो गए,
किसी को लग ना जाये
इसलिए सबसे दूर हो गए🥺।।
जिन रास्तों पे सुरु ये सफर हुआ था,
आज उन्हीपे वापिस लौट रहा हूँ।
ख्वाब जो देखे थे कल,
आज उन्हें पाके लौट रहा हूँ।
कामयाबियों के राह पे जो छुटा था,
उन्हें आज समेट ते हुए लौट रहा हूँ।