Eh Jind Ni Ini Sasti Sajna
Har Koi Ni Isda Haqdar Hunda
Koi Ved Hakeem Na Ilaaj Karda
Jo V Ishq Bimar Hunda
Jo Rooh De Vich Vass Gaya
Oh Ni Dil De Vicho Visar Hunda
Hor Ta Sanu Pata Ni Yaara
Par Shartan La Ke Ni Kadi Pyar Hunda
Eh Jind Ni Ini Sasti Sajna
Har Koi Ni Isda Haqdar Hunda
Koi Ved Hakeem Na Ilaaj Karda
Jo V Ishq Bimar Hunda
Jo Rooh De Vich Vass Gaya
Oh Ni Dil De Vicho Visar Hunda
Hor Ta Sanu Pata Ni Yaara
Par Shartan La Ke Ni Kadi Pyar Hunda
ham ne kab maanga hai tum se apanee vafaon ka sila
bas dard dete raha karo “mohabbat” badhatee jaegee..
हम ने कब माँगा है तुम से अपनी वफ़ाओं का सिला
बस दर्द देते रहा करो “मोहब्बत” बढ़ती जाएगी..
सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं
लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं
दिल की गिनती न यगानों में न बेगानों में
लेकिन उस जल्वा-गह-ए-नाज़ से उठता भी नहीं
मेहरबानी को मोहब्बत नहीं कहते ऐ दोस्त
आह अब मुझ से तिरी रंजिश-ए-बेजा भी नहीं
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
आज ग़फ़लत भी उन आँखों में है पहले से सिवा
आज ही ख़ातिर-ए-बीमार शकेबा भी नहीं
बात ये है कि सुकून-ए-दिल-ए-वहशी का मक़ाम
कुंज-ए-ज़िंदाँ भी नहीं वुसअ’त-ए-सहरा भी नहीं
अरे सय्याद हमीं गुल हैं हमीं बुलबुल हैं
तू ने कुछ आह सुना भी नहीं देखा भी नहीं
आह ये मजमा-ए-अहबाब ये बज़्म-ए-ख़ामोश
आज महफ़िल में ‘फ़िराक़’-ए-सुख़न-आरा भी नहीं
ये भी सच है कि मोहब्बत पे नहीं मैं मजबूर
ये भी सच है कि तिरा हुस्न कुछ ऐसा भी नहीं
यूँ तो हंगामे उठाते नहीं दीवाना-ए-इश्क़
मगर ऐ दोस्त कुछ ऐसों का ठिकाना भी नहीं
फ़ितरत-ए-हुस्न तो मा’लूम है तुझ को हमदम
चारा ही क्या है ब-जुज़ सब्र सो होता भी नहीं
मुँह से हम अपने बुरा तो नहीं कहते कि ‘फ़िराक़’
है तिरा दोस्त मगर आदमी अच्छा भी नहीं