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Dev Choudhary

Sabse badhi cheez || akbar birbal kahani

एक दिन बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं थे। ऐसे में बीरबल से जलने वाले सभी सभासद बीरबल के खिलाफ अकबर के कान भर रहे थे। अकसर ऐसा ही होता था, जब भी बीरबल दरबार में उपस्थित नहीं होते थे, तभी दरबारियों को मौका मिल जाता था। आज भी ऐसा ही मौका था।

बादशाह के साले मुल्ला दो प्याजा की शह पाए कुछ सभासदों ने कहा-”जहांपनाह ! आप वास्तव में बीरबल को आवश्यकता से अधिक मान देते हैं, हम लोगों से ज्यादा उन्हें चाहते हैं। आपने उन्हें बहुत सिर चढ़ा रखा है। जबकि जो काम वे करते हैं, वह हम भी कर सकते हैं। मगर आप हमें मौका ही नहीं देते।”

बादशाह को बीरबल की बुराई अच्छी नहीं लगती थी, अतः उन्होंने उन चारों की परीक्षा ली-”देखो, आज बीरबल तो यहाँ हैं नहीं और मुझे अपने एक सवाल का जवाब चाहिए। यदि तुम लोगों ने मेरे प्रश्न का सही-सही जवाब नहीं दिया तो मैं तुम चारों को फांसी पर चढ़वा दूंगा।” बादशाह की बात सुनकर वे चारों घबरा गए।

उनमें से एक ने हिम्मत करके कहा-”प्रश्न बताइए बादशाह सलामत ?” “संसार में सबसे बड़ी चीज क्या है ? और अच्छी तरह सोच-समझ कर जवाब देना वरना मैं कह चुका हूं कि तुम लोगों को फांसी पर चढ़वा दिया जाएगा।” बादशाह अकबर ने कहा- “अटपटे जवाब हरगिज नहीं चलेंगे। जवाब एक हो और बिलकुल सही हो।” “बादशाह सलामत ? हमें कुछ दिनों की मोहलत दी जाए।” उन्होंने सलाह करके कहा।

“ठीक है, तुम लोगों को एक सप्ताह का समय देता हूं।” बादशाह ने कहा।

चारों दरबारी चले गए और दरबार से बाहर आकर सोचने लगे कि सबसे बड़ी चीज क्या हो सकती है ?

एक दरबारी बोला-”मेरी राय में तो अल्लाह से बड़ा कोई नहीं।”

“अल्लाह कोई चीज नहीं है। कोई दूसरा उत्तर सोचो।” दूसरा बोला।

“सबसे बड़ी चीज है भूख जो आदमी से कुछ भी करवा देती है।” तीसरे ने कहा।

“नहीं…नहीं, भूख भी बरदाश्त की जा सकती है।”

“फिर क्या है सबसे बड़ी चीज ?” छः दिन बीत गए लेकिन उन्हें कोई उत्तर नहीं सूझा। हार कर वे चारों बीरबल के पास पहुँचे और उसे पूरी घटना कह सुनाई, साथ ही हाथ जोड़कर विनती की कि प्रश्न का उत्तर बता दें।

बीरबल ने मुस्कराकर कहा-”मैं तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा, लेकिन मेरी एक शर्त है।” “हमें आपकी हजार शर्तें मंजूर हैं।” चारों ने एक स्वर में कहा-”बस आप हमें इस प्रश्न का उत्तर बताकर हमारी जान बख्शी करवाएं। बताइए आपकी क्या शर्त है ?” “तुम में से दो अपने कन्धों पर मेरी चारपाई रखकर दरबार तक ले चलोगे। एक मेरा हुक्का पकड़ेगा, एक मेरे जूते लेकर चलेगा।” बीरबल ने अपनी शर्त बताते हुए कहा।

यह सुनते ही वे चारों सन्नाटे में आ गए। उन्हें लगा मानो बीरबल ने उनके गाल पर कसकर तमाचा मार दिया हो। मगर वे कुछ बोले नहीं। अगर मौत का खौफ न होता तो वे बीरबल को मुंहतोड़ जवाब देते, मगर इस समय मजबूर थे, अतः तुरन्त राजी हो गए।

दो ने अपने कन्धों पर बीरबल की चारपाई उठाई, तीसरे ने उनका हुक्का और चौथा जूते लेकर चल दिया। रास्ते में लोग आश्चर्य से उन्हें देख रहे थे। दरबार में बादशाह ने भी यह मंजर देखा और वह मौजूद दरबारियों ने भी। कोई कुछ न समझ सका। तभी बीरबल बोले, ”महाराज, दुनिया में सबसे बड़ी चीज है-गरज। अपनी गरज से ये पालकी यहां तक उठाकर लाए हैं।” बादशाह मुस्कराकर रह गए। वे चारों सिर झुकाकर एक ओर खड़े हो गए।

Sabh beh jayenge || akbar beerbal kahani

बादशाह अकबर और बीरबल शिकार पर गए हुए थे। उनके साथ कुछ सैनिक तथा सेवक भी थे। शिकार से लौटते समय एक गांव से गुजरते हुए बादशाह अकबर ने उस गांव के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होंने इस बारे में बीरबल से कहा तो उसने जवाब दिया—”हुजूर, मैं तो इस गांव के बारे में कुछ नहीं जानता, किंतु इसी गांव के किसी बाशिन्दे से पूछकर बताता हूं।”

बीरबल ने एक आदमी को बुलाकर पूछा—”क्यों भई, इस गांव में सब ठीक-ठाक तो है न?”

उस आदमी ने बादशाह को पहचान लिया और बोला—”हुजूर आपके राज में कोई कमी कैसे हो सकती है।”

“तुम्हारा नाम क्या है?” बादशाह ने पूछा।

“गंगा”

“तुम्हारे पिता का नाम?”

“जमुना”

“और मां का नाम सरस्वती है?”

“हुजूर, नर्मदा।”

यह सुनकर बीरबल ने चुटकी ली और बोला—”हुजूर तुरन्त पीछे हट जाइए। यदि आपके पास नाव हो तभी आगे बढ़ें वरना नदियों के इस गांव में तो डूब जाने का खतरा है।”

यह सुनकर बादशाह अकबर हंसे बगैर न रह सके।

(पेड़ के जीवन की कथा)

आओ सुनाओ अपने जीवन की कथा 

नाम है पेड़ दूर करता हूं सब की व्यथा 

कितना विशाल कितना घना हूं 

फल और फूलों से लदा हूं

मेरी ही छाया में आकर 

तुम अपनी थकान मिटाते हो 

मीठे फल और सुंदर फूल 

तुम मुझसे ही ले जाते हो

दूषित हवा तुम मुझको देकर 

खुद प्राणवायु मुझसे पाते हो

अपने ही जीवन के आधार पर 

तुम कुल्हाड़ी जब बरसाते हो

मुझसे ही मेरा सब कुछ लेकर 

तुम दर्द मुझे दे जाते हो

देता हूं बारिश का पानी 

हरियाली मुझसे पाते हो

करता हूं इतने उपकार 

फिर भी सहता तुम्हारे अत्याचार

आओ मिलकर पेड़ लगाएं || nature kavita

आओ मिलकर पेड़ लगाएं
पृथ्वी को हरा-भरा बनाए 

 

पेड़ों के मीठे फल खाएं
फूलों की सुगंध फैलाएं 

पेड़ों से छाया हम पाएं
चारों ओर प्राणवायु फैलाएं 

मिट्टी को उपजाऊ बनाएं
भूजल स्तर को यह बढ़ाएं

 

बारिश का पानी ये ले आए
मिट्टी के कटाव को ये बचाएं 

पक्षी इनपर अपना नीड़ बनाए
प्रदूषण से ये हमें बचाएं

जब पेड़ों से लाभ इतना पाएं
तो मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए

इन पेड़ों को क्यूं सताए
इनके संरक्षण की कसम हम खाएं 

आओ मिलकर पेड़ लगाएं
आओ मिलकर पेड़ लगाएं…

          तरुण चौधरी

मानव विज्ञान, प्रौद्योगिकी व जनसंख्या विस्फोट

प्रस्तावना

जनसंख्या सामान्यतः एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। हालांकि आबादी शब्द का मतलब केवल मानव आबादी ही नहीं है बल्कि वन्यजीव आबादी और जानवरों तथा अन्य जीवित जीवों की कुल आबादी की पुनरुत्पादन करने की क्षमता है। विडंबना यह है कि जहाँ मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है तो जानवरों की आबादी कम हो रही है।

कैसे मानव विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दिया है?

कई कारक हैं जो पिछले कुछ दशकों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जहाँ पहले जन्म दर और मनुष्य की मृत्यु दर के बीच एक संतुलन था चिकित्सा विज्ञान में प्रगति ने उसमें असंतुलन पैदा कर दिया है। कई बीमारियों का इलाज करने के लिए दवाएं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को विकसित किया गया है। इन की मदद से मनुष्य मृत्यु दर कम हो गई है और इससे जनसंख्या में वृद्धि हो गई है।

इसके अलावा तकनीकी विकास ने भी औद्योगीकरण को रास्ता दिखाया है। हालांकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे पर अब कई अलग-अलग कारखानों में नौकरी करने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों की आबादी, जहां इन उद्योगों की स्थापना की जाती है, दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

वन्यजीव जनसंख्या पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहाँ मानव आबादी विस्फोट के कगार पर है वहीं वन्यजीव आबादी समय गुज़रने के साथ कम हो रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी काफी कम हो गई है जिसका केवल मनुष्य को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ विवरण नीचे दिए गए हैं:

  1. वनों की कटाई

वन्यजीव जानवर जंगलों में रहते हैं। वनों की कटाई का अर्थ है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी मनुष्य निर्दयता से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को काट और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियों में भी कमी आई है और कई लोग अन्य अपने निवास की गिरती गुणवत्ता या नुकसान के कारण विलुप्त हो गए हैं

  1. बढ़ता प्रदूषण

बढ़ता हवा, पानी और भूमि प्रदूषण एक और प्रमुख कारण है कि कई जानवरों की कम उम्र में मृत्यु हो जाती है। पशुओं की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें इसके कारण कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है और उसके घातक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

  1. जलवायु में परिवर्तन

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु काफी तेजी से बदल गई है। कई क्षेत्र जिनमें पहले मध्यम बारिश होती थी वहां अब हालात बाढ़ की तरह दिखाई देने लगे हैं। इसी तरह गर्मी के मौसम में हल्के गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जहाँ मनुष्य ऐसी स्थितियों के अनुकूल होने के लिए तैयार होते हैं वहीं जानवर इसका सामना नहीं कर सकते।

निष्कर्ष

मनुष्य ने हमेशा अपने पौधों, जानवरों और उनके आसपास के समग्र वातावरण पर प्रभाव की अनदेखी करते हुए अपने आराम और सुख के बारे में सोचा है। अगर मनुष्य इस तरह से व्यवहार करते रहे तो पृथ्वी मनुष्य के अस्तित्व के लिए अब फिट नहीं रहेगी। यह सही समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने और साथ ही हमारे ग्रह को बर्बाद कर रही प्रथाओं को नियंत्रित करने के महत्व को स्वीकार करना चाहिए।

Bharat ki bhadhti jansankhiya

प्रस्तावना

जनसंख्या का मतलब एक विशेष स्थान पर रहने वाले कुल जीवों की संख्या है। दुनिया के कई हिस्सों में मुख्य रूप से गरीब देशों में मानव आबादी का विकास चिंता का विषय बन गया है। दूसरी ओर ऐसे भी स्थान हैं जहां जनसंख्या की दर बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या – भारत में एक बड़ी समस्या

भारत को बढ़ती आबादी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की करीब 17% आबादी भारत में रहती है जिससे यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। लगभग हर विकासशील देश की तरह भारत में जनसंख्या की वृद्धि के लिए कई कारण हैं। भारत में आबादी के विकास के मुख्य कारणों में से एक निरक्षरता है। अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चों को जन्म देते हैं। इसके लिए दो कारण हैं।

सबसे पहले उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसे कमाने में मदद करते हैं। दूसरा उनमें से ज्यादातर जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। प्रारंभिक विवाह के परिणामस्वरूप बच्चों की संख्या अधिक होती है। आबादी में वृद्धि की वजह से मृत्यु दर कम हो सकती है। विभिन्न बीमारियों के लिए इलाज़ और उपचार विकसित किए गए हैं और इस तरह मृत्यु दर में कमी आई है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  1. न्यूनतम विवाहयोग्य आयु

सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। हालांकि इस पर कोई कड़ी जांच नहीं है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में लोग अभी भी कम उम्र में अपने बच्चों की शादी करते हैं। सरकार को शादी की न्यूनतम उम्र में वृद्धि करना चाहिए और इसके लिए जांच भी कड़ी करनी चाहिए।

  1. मुफ्त शिक्षा

भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना।

  1. दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना

भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

निष्कर्ष

भारत में बढ़ती आबादी गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि सरकार ने इस पर नियंत्रण रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन ये नियंत्रण पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस मुद्दे को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

Shayari on siblings || bhai behen

ये रिश्ता है हंसी मजाक का,
हंसी वाली मुस्कान और गम वाले आंसू का,
छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाने का,
और फिर खुद ही मान जाने का,
यह रिश्ता है भाई और बहन का…!!

बहन वो जो हर आंसू छुपा दे भाई की खुशी के लिए,
और भाई वो जो हर हद पार कर दे बहन की खुशी के लिए,
बहन वो जो है राखी पर अपने प्यार को,
धागे में संजोकर भाई की कलाई पर बांध दें,
और भाई वो जो बहन की तकलीफ को,
देखकर दुनिया का हर बंधन तोड़ दे…!!

यह रिश्ता है चिड़ने का और चिड़ाने का,
शरारतों के पिटारो का,
कहीं और अनकही बातों का,
यह रिश्ता है बचपन की यादों का,
यह रिश्ता है प्यार की बगिया में विश्वास के फूल का…!!

जिसकी पंखुड़ी हर आंसू पी जाती है,
जिसको देखकर चेहरे पर सिर्फ खुशी रह जाती है,
जिसकी खुशबू जहन में और जिसकी तस्वीर यादों में,
हमेशा के लिए कैद हो जाती है,
यह रिश्ता है एक भाई का उसकी बहन से,
रिश्ता है मेरी राखी का तेरी कलाई से,
यह रिश्ता है भाई दूज के तिलक से,
रिश्ता है भाई और बहन का…!!
यह रिश्ता है भाई और बहन का…!!

Maata pita || hindi shayari on parents

माता पिता का इस जगत में है सबसे ऊँचा दर्जा।
इसके लालन पालन को संतान चूका ना सके कर्जा।।

कर्ज इनके प्रेम का जीवन को खूब सँवारे।
बस चले तो बच्चों के लिए आसमां से तोड़ ले तारे।

तारों सा चमकीला बने उनके बच्चों का जीवन।
मानों इसलिए ही धरती पर माता पिता का हुआ जनम।।

बच्चों के जन्म से ही करते उनके लिए जीवन भर संघर्ष।
अपने बच्चों की खुशियों को ही समझे जीवन का उत्कर्ष।।

उत्कर्ष होता उनका जो संतान बने अच्छी इंसान।
पग पग मार्गदर्शन ऐसा जो देना सके भगवान।

भगवान समान माता पिता फिर भी क्यों खोते मान।
बुढ़ापे में अपने ही पुत्रों से झेलते अपमान।।

अपमान करे संतान का तो फट पड़ता कलेजा।
क्या इस दिन के लिए ही संतान को प्रेम से सहेजा।।

सहेजा संवारा क्या इसलिए कि बुढ़ापे में ना दे साथ।
संतान पे लुटाके धन आज बुढ़ापे में फैलाये हाथ।।

हाथ क्यों ना आते आगे आज माता पिता के लिए।
क्या झूठे दिखावे और चमक दमक ने तुम्हारे हाथ सीले।।

छोड़ो इस माया को सच्चे रिश्तों की करो कदर।
दुनिया में तुम्हारे लिए जीये सदा तुम्हारे फादर मदर।।

Dev Choudhary