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Krishna Saini

Rajneeti ki duniya || hindi poetry || life

राजनीति की दुनिया में खेल बहुत है,

कोई जीता है, कोई हारा है।

सत्ता की भूख और वाद-विवाद,

मन में जलती चिंगारी है।

राजनेताओं की रंगीन छलावा,

जनता को वहमों में बँधाता है।

कुछ वादे खाली और कुछ झूले धूले,

आम आदमी को खोखला बनाता है।

वाद-विवाद के आगे सच्चाई छिपती,

लोकतंत्र की मूल्यों पर भारी है।

शोर और तामझाम में खो गई है,

सम्मान, सद्भाव और आदर्शि है।

नीतिबद्धता और समर्पण की कमी,

राजनीति को कर रही है मिट्टी।

सच्ची सेवा की बजाए प्रतिष्ठा,

हौसले को तोड़ रही है मिट्टी।

चाहे जितना बदले युगों का सफ़र,

राजनीति का रंग हर बार वही।

प्रशासनिक शक्ति की लालसा में,

जनता भूल जाती है खुद को वही।

Prakriti ki rachana || hindi poetry on nature

प्रकृति की बातें सुनाए जाएं, उसकी गाथा कहानी सुनाए जाएं। उठते सूरज की लाली देखो, प्राकृतिक सौंदर्य में खो जाएं।

वृक्षों की छाया को चढ़कर, धरती के गुणगान कर दें। जल की लहरों के रंगों को, रसियों की आवाज़ बना दें।

बारिश की बूँदों का मेल मिलाप, आकर्षण भरी मधुर ध्वनि। हरा-भरा वन आपको बुलाए, अपार प्राकृतिक खजानी।

पर्वतों की ऊँचाइयों से, नदी की धार करे बहती। महकती हवाओं की लहरों में, खुद को आप गंभीर करें।

प्रकृति की रचनाओं को देखो, सुंदरता में जीवन का रंग है। आओ इसे समझें, इसे प्यार करें, प्रेम से हमेशा संग रहें, संग हैं

Krishna Saini