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सुमित समश्रेष्ट

यादें || yaadein || hindi shayari || true love

जब तेरा अस्तित्व था …..मैं तेरे  चेहरे को दरकिनार करता रहा ……
वक़्त ने तेरे अस्तित्व को  यादों में क्या बदला की मैं उन  यादों में तेरा ही चेहरा ढूँढता रहा ।।
यादें धुंधला ना जाये मैं चेहरे को तस्वीरों में ढूँढता रहा …….
मिला जो तेरा चेहरा तस्वीरों में ……. मैं उनके अस्तित्व की यादों में फिरता ही रहा ||
सहज लेता हूँ तेरी तस्वीरों को , यादों के संदूक को, अपने आँसू को ……
पर गुज़रते वक़्त में वहीं लम्हे वापस आते है बस फ़र्क़  इतना है कि अब तेरे चेहरे की यादें है पर तेरा अस्तित्व नहीं…….

सुमित समश्रेष्ट