Dil ki Dastak || Gam hindi shayari
रात का अँधेरा भी है
मस्त तारे भी है
मगर क्या करें; मगर क्या करें, ऐ दोस्त
अखिर सपने हमारे भी हैं!!!
सपनों को टूटते देखा है मैंने
एक तारे को भी टूटते देखा है मैंने
हर ज़रे मैं बस खुदा है
किसी को कहते देखा है मैंने
मैंने भी तो सीखा है गम से निकलना, मैंने भी तो सीखा है गम से निकलना!
और टूटी हुई सांसो को किसी से ज़ुडते हुए देखा है मैंने!!!