money shayari
Paise kaa dabdbaa hai sab jaga
पैसे का दबदबा हैं सब जगह
क्यों पैसे का दबदबा है सब जगह!
काँटों मैं फूलों की खुशबू क्यों सुंगाता है पैसा
पैसा न हो तो परेशानी पैसा हो तो ऊपर वाले की मेहरबानी!!
सब के होश क्यों उड़ाता हैं पैसा
हर ग़म की दवा क्यों बन जाता है ये पैसा!!
न हो तो क्यों इतना तड़पाता है ये पैसा
ये पैसा क्यों हमेशा से है ऐसा!
sunee@zindagiterenaam.com
Paison ki zaroorat bhi hai mujhe || shayari hindi || poetry
पैसों की ज़रुरत भी है मुझे, और है नहीं भी मुझे
कम् हो रही कमाई मेरी,क्यों अन्दर ही अन्दर खा रही हैं मुझे, और नहीं भी मुझे,
मगर साथ ही साथ ऐसा कुछ समझा भी रही हैं मुझे!!
फालतू के खर्चों का भोज जो दिल पर डोल रखा हैं उसका एहसास भी करा रही है मुझे, पैसों की ज़रुरत भी है मुझे, और है नहीं भी मुझे
किस्से कहानियों में किसी दानव का नाम सुना था मैंने,
मगर २०२०-२०२१ में इसका एहसास दिला रही हैं मुझे
पैसों की ज़रुरत भी है मुझे, और है नहीं भी मुझे!!!