Tumhe ghar chhod du || hindi poetry love
❣️”चलो भी जान तुम्हे घर छोड़ दूं”❣️
समझ नही आता,किस पर लिखूं,किस पर छोड़ दूं
अब क्या करूं इन बातों का,इन्हे यही पर छोड़ दूं
तुमने गली छोड़ी, मुझे छोड़ा,सब तो छोड़ दिया
मैं कैसे ये आसमान,मकान,अपना शहर छोड़ दूं
मेरे पीछे मत आओ मेरा सफर काफी दूर तक है,
चलो भी जान,इश्क नही आसान,तुम्हे घर छोड़ दूं
तुम्हारी यांदो को तो आना जाना है जिंदगी भर
फिर एक तुम्हे याद करना भी है,बेहतर छोड़ दूं
मैं टूटकर खुद,राह बन गईं हूं,राहगीरों के लिए
और तुम कहते हो जिंदगी का ये सफर छोड़ दूं
जहर काफी है दर्द में,मसला इश्क है मेरे जान
और तुम क्यों कहते हो,मैं इश्क का जहर छोड़ दूं
तुम लौट आए,तो क्यों आए हो अब बताना जरा
तुमने क्या कहा मैं ये शायरी और गजल छोड़ दूं
तुमने गली छोड़ी,सफर छोड़े,घर बदल लिए
अब क्यों चाहते हो तुम,मैं मेरा शहर छोड़ दूं
“हर्ष” क्या करूं इन बातों का,इन्हे यही पर छोड़ दूं
अब चलो भी जान,कहना लो मान,तुम्हे घर छोड़ दूं