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Poetry

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ਖੌਫਨਾਕ ਦਰਿਸ਼ || puNJABI poetry

ਖੌਫਨਾਕ ਇਹ ਮੰਜ਼ਿਰ ਫੈਲਿਆ 
ਖੌਫਨਾਕ ਇਹ ਰਾਸਤੇ 
ਚਹੁੰ ਪਾਸਿਓਂ ਤੋਂ ਆ ਰਹੀਆਂ 
ਹਜਾਰੋਂ ਦਰਦ ਭਰੀਆਂ ਆਵਾਜ਼ਾਂ 
ਬੱਦਲਾਂ ਦਾ ਰੰਗ ਵੀ ਕਿਸੇ ਕਾਲੇ ਸਾਏ ਵਾਂਗੂ ਲੱਗ ਰਿਹਾ 
ਜਿਵੇਂ ਨੀਲੀ ਅਸਮਾਨ ਦੀ ਚਾਦਰ ਨੂੰ ਕੋਈ ਕਾਲੀ ਛਾਂ ਨਾਲ ਢੱਕ ਰਿਹਾ 
ਗੜਗੜਾਹਟ ਐਸੀ ਭਿਆਨਕ
ਜੋ ਇੰਨਾ ਕਾਲੇ ਬੱਦਲਾਂ ਤੋਂ ਆ ਰਹੀ 
ਕੰਬ ਰਿਹਾ ਹਰ ਕੋਈ 
ਜਿਸਦੇ ਵੀ ਕਨਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾ ਰਹੀ 
ਖੜਾਕਾ ਐਸਾ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਜੋ ਧਰਤੀ ਤੇ ਡਿੱਗ ਰਿਹਾ 
ਜਿਵੇਂ ਕਰ ਰਹੀ ਹੋਵੇ ਸਵਾਗਤ 
ਕਿਸੇ ਦੈਂਤ ਦੇ ਆਣ ਦਾ 
ਦਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਐਸੀਆਂ ਉੱਚੀਆਂ ਛਾਲਾਂ ਮਾਰ ਰਿਹਾ 
ਇੰਜ ਲੱਗੇ ਜਿਵੇਂ ਕੋਈ ਭਿਆਨਕ ਰਾਕਸ਼ਸ ਹੈ ਆ ਰਿਹਾ 
ਸਮੁੰਦ੍ਰ ਨੇ ਵੀ ਆਪਣਾ ਰੁਦ੍ਰ ਰੂਪ ਧਾਰ ਲਿਆ 
ਰਾਕਸ਼ਸ ਵੀ ਆਪਣੀ ਪੂਰੀ ਵਾਹ ਨਾਲ 
ਸਮੁੰਦ੍ਰ ਦੀਆਂ ਹੱਦਾਂ ਤੋੜ ਰਿਹਾ 
ਪਲ ਭਰ ਵਿੱਚ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸਫਾਇਆ ਇਸ ਤਰਾਂ 
ਜਿਵੇਂ ਨਾਮੋ ਨਿਸ਼ਾਨ ਨਾ ਰਿਹਾ ਹੋਵੇ 
ਉੱਚੀਆਂ ਇਮਾਰਤ ਦੇ ਵਜ਼ੂਦ ਦਾ
ਐਸੀ ਪਰਲੋ ਜੋ ਕੁੱਛ ਰੋਂਦ ਰਹੀ 
ਮਾਨੋ ਧਰਤੀ ਉਪਰੋਂ ਕੋਈ ਭਾਰ ਘਟਾ ਰਹੀ 
ਹੁਣ ਨਾਂ ਕੋਈ ਸਿਆਣਪ ਨਾ ਚਲਾਕੀ ਕੰਮ ਆ ਰਹੀ 
ਰੁੜ ਰਹੇ ਨੇ ਕਈ ਜੀਅ ਪਾਣੀ ਚੇ
ਇੱਕ ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਬਾਵਾ ਬਣ ਕੇ
ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਬਾਵਾ ਬਣ ਕੇ  

Mera Chaand || hindi shayari

khula asmaan dekha
Dher saare sitaro ke sath
Ek sundar sa Chand dekha …
To ishi baat pe 2 line..
A sitare tu kis baat pr guroor krta h …
A sitare tu kis baat pr guroor krta h …
Tu jis Chand ke hone pe guroor krta h usme bhi daag hai …
Or kya kha mere pass kuch nhi …..
Arre bhul mt….
Mere pass bhi ek sundar sa Chand hai ….
Mera Chand deedar krata nhi …apni sundarta dikhata nhi ….
Verna uske samne Tera Chand kyaa…fikha pura jahan ( duniya) hai …
Mere pass bhi ek sundar sa Chand hai…

Bird poetry || hindi poetry

करें परिंदे बात गगन में, आज पानी कहीं नहीं दिख रहा..
दूजा कहे, अरे दिखे कहां से, वो देख दुकान में बिक रहा..
गरमी है बहुत, अरे जाए कहाँ, बदन भट्टी जैसे सिक रहा..
प्यास लगी है बहुत मुझे, मगज एक जगह नहीं टिक रहा..
अरे कुछ तो कर पानी का भाई, ठंडा नहीं तो गरम पिला..
दौडाई नजर दूजे ने हर ओर, दोस्त का दुख उससे न झिला..
वो देख वहां शायद कुछ है, खुशी से अब चेहरा है खिला..
पानी थोडा, लड बेठे वो, पहले मुझे मिला.. पहले मुझे मिला..

Keep some water on the roof for birds in summer🙏

Hindi poetry

“फिर आज युंहिं मौसम बदला, चहकती
देखो हर एक डाल है..
मद्धम सी बरसात हुई, छिल गई कई पेड़ों की छाल है..
हर पत्ते हर डाली ने पूछा, क्या दर्द हुआ? क्या तेरा हाल है..
कहा हुआ हूं, नया मैं फिर से, क्या जानो तुम कुदरत कमाल है..
मुझको ताकत दी है इतनी, शक्ति मेरी बेमिसाल है..
हर जीव में सांसें भरता हूं, सब करते मेरा इस्तेमाल है..
काटेंगे मुझे तो भुगतेंगे, कुदरत का कहर सबसे विशाल है..
बे-मौसम जो मौसम बदल रहे हैं, जवाब पता है, फिर भी सवाल है..”

TUMSE MILKE || hindi shayari || love shayari

jaane anjane mai mile the hum tumse
koi irada nahi tha dillagi karne ka
fir jab kari dillagi tumse
toh irada nahi tha tumse dur jaane ka
ki yaad hai mujhe vo har lamha 
jo humne sath bitaya hai
kuch haseen pal kuch rangeen shamein sath bitaye jo saal tumne
kya tumhara irada tha humko chodd jane ka
shuruaat toh aksar sabhi rishto ki sahi hoti hai 
lekin har kisi mai vo dum nahi rishta nibha jaane kaa….😇

हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!! Hindi poetry

हाँ प्यार करता हूँ ना मैं !!!
नैनन नसीली पलकें हो झुकी,
उन मेें आंखें मिलीं झील,
तितली सी मड़ाती बर्न,
आँखों में दिन रात सीधती पलकें, 
हाँ प्यार करता हूँ ना मैं!!!
लबों में शामिल हो गई मुस्कान, मुस्कान
उन लोगों से मिलने में गुलाब सी चाहत,
ओ चाहत में थी रोशनी सी मोहब्बत,
प्यार के पार तो बस एक विश्वास था,
हाँ प्यार करता हूँ ना मैं!!!
पासपोर्ट में लड़खाती हों बाली,
बालीं से झड़ती यें फिजायें,
फिजो से मिली घटायें,
हाँ प्यार करता हूँ ना मैं!!!
हाँ प्यार करता हूँ ना मैं
बालें लटकती हो वट सी लट,
वो लटों में शामिल हों लेस,
उन मामलों को घटकी हमेशा वो पट्टी,
जिसमें सदा बालें रहती हैं लिपटी,
हाँ प्यार करता हूँ ना मैं!!!
हाँ प्यार करता हूँ ना मैं
कुतुम्ब सी माथे मे हैं मून की लाकेट,
उस लाकेट में थी हमारी मन्ते,
ये मन्ते आया था नज्मों की नगरीयों से,
वो हर नगरी थी दस दिशाओं पे, 
हाँ प्यार करता हूँ ना मैं!!!

Vo ❣️ || love hindi shayari || beautiful lines

बात अगर मैं करू तो इतराता बहुत है ,
प्यार तो वो भी करता है मगर शर्माता बहुत है ,
शांत रहता है जो मेरे सामने ,
लोग कहते हैं कि उसे गुस्सा आता बहुत है ,
भूल जाता है जो सब कुछ आते ही मेरे सामने,
क्लास में जो पहले नंबर पर आता बहुत है,
उसकी हंसी से बचे तो उसकी आंखों में डूब गए ,
गुरुर था कि हमें तैरना  आता बहुत है!💯🥀

Barish ki boonde || hindi kavita

गर्मियों से मुग्ध थी धरती
पर बारिश की बून्दें पड़ते ही
तुम बुदबुदाईं —
बारिश कितनी ख़ूबसूरत है !

क्या तुम्हारा मन
मिट्टी से भी ज़्यादा ठण्ड को महसूस करता है
तभी तो बारिश में विलीन हो गए
छलकते हुए आनन्द को स्वीकार न कर
तुमने आहिस्ता से कहा —
बारिश कितनी ख़ूबसूरत है !

तुम्हारे आँगन में
बून्द-बून्द में
अपने अनगिनत चान्दी के तारों में
सँगीत की सृष्टि कर
बारिश
जिप्सी लड़की की तरह नाचती है
तुम्हारी आँखों में ख़ुशी है, आह्लाद है
और शब्दों में बच्चों-सी पवित्रता
बारिश कितनी ख़ूबसूरत है !

अपने इर्द-गिर्द की चीज़ों
से अनजान
तुम यहाँ बैठी हो
नदी तुम्हारी स्मृतियों में ज़िन्दा है

अपनी सहेलियों के सँग
धीरे से घाघरा उठाकर
तुम नदी पार करती हो
अचानक बारिश गिरती है
लहरें चान्दी के नुपूर पहन नाचती हैं

बारिश में भीगकर हर्षोन्माद में
हंसते हुए तुम
नदी तट पर पहुँचती हो

बारिश में भीगे आँवले के फूल
पगडण्डी पर तुम्हारा स्वागत करते हैं
तुम्हारे सामने
केवल बारिश है, पगडण्डी है
और फूलों से भरे खेत हैं !

मेरी उपस्थिति को भूलते हुए
तुमने मृदुल आवाज़ में कहा —
बारिश कितनी ख़ूबसूरत है !

फिर तुम्हें देखकर
मैंने उससे भी मृदुल आवाज़ में कहा —
तुम भी तो कितनी ख़ूबसूरत हो !