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Poetry

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AADMI EK || akbar birbal kahani hindi

एक बार अकबर और बीरबल बागीचे में बैठे थे। अचानक अकबर ने बीरबल से पूछा कि क्या तुम किसी ऐसे इन्सान को खोज सकते हो जिसमें अलग-अलग बोली बोलने की खूबी हों?

बीरबल ने कहा, क्यों नहीं, मै एक आदमी जानता हूँ जो तोते की बोली बोलता है, शेर की बोली बोलता है, और गधे की बोली भी बोलता है। अकबर इस बात को सुन कर हैरत में पड़ गए। उन्होने बीरबल को कहा किअगले दिन उस आदमी को पेश किया जाये।

बीरबल उस आदमी को अगले दिन सुबह दरबार में ले गए। और उसे एक छोटी बोतल शराब पीला दी। अब हल्के नशे की हालत में शराबी अकबर बादशाह के आगे खड़ा था। वह जानता था की दारू पी कर आया जान कर बादशाह सज़ा देगा। इस लिए वह गिड़गिड़ाने लगा। और बादशाह की खुशामत करने लगा। तब बीरबल बोले की हुज़ूर, यह जो सज़ा के डर से बोल रहा है वह तोते की भाषा है।

उसके बाद बीरबल ने वहीं, उस आदमी को एक और शराब की बोतल पिला दी। अब वह आदमी पूरी तरह नशे में था। वह अकबर बादशाह के सामने सीना तान कर खड़ा हो गया। उसने कहा कि आप नगर के बादशाह हैं तो क्या हुआ। में भी अपने घर का बादशाह हूँ। मै यहाँ किसी से नहीं डरता हूँ।

बीरबल बोले कि हुज़ूर, अब शराब के नशे में निडर होकर यह जो बोल रहा है यह शेर की भाषा है।

अब फिर से बीरबल ने उस आदमी का मुह पकड़ कर एक और बोतल उसके गले से उतार दी। इस बार वह आदमी लड़खड़ाते गिरते पड़ते हुए ज़मीन पर लेट गया और हाथ पाँव हवा में भांजते हुए, मुंह से उल-जूलूल आवाज़ें निकालने लगा। अब बीरबल बोले कि हुज़ूर अब यह जो बोल रहा है वह गधे की भाषा है।

अकबर एक बार फिर बीरबल की हाज़िर जवाबी से प्रसन्न हुए, और यह मनोरंजक उदाहरण पेश करने के लिए उन्होने बीरबल को इनाम दिया।

Akbar badshah ko mazaak || hindi akbar birbal kahani

अकबर बादशाह को मजाक करने की आदत थी। एक दिन उन्होंने नगर के सेठों से कहा-

“आज से तुम लोगों को पहरेदारी करनी पड़ेगी।”

सुनकर सेठ घबरा गए और बीरबल के पास पहुँचकर अपनी फरियाद रखी।

बीरबल ने उन्हें हिम्मत बँधायी,

“तुम सब अपनी पगड़ियों को पैर में और पायजामों को सिर पर लपेटकर रात्रि के समय में नगर में चिल्ला-चिल्लाकर कहते फिरो, अब तो आन पड़ी है।”

उधर बादशाह भी भेष बदलकर नगर में गश्त लगाने निकले। सेठों का यह निराला स्वांग देखकर बादशाह पहले तो हँसे, फिर बोले-“यह सब क्या है ?”

सेठों के मुखिया ने कहा-

“जहाँपनाह, हम सेठ जन्म से गुड़ और तेल बेचने का काम सीखकर आए हैं, भला पहरेदीर क्या कर पाएँगे, अगर इतना ही जानते होते तो लोग हमें बनिया कहकर क्यों पुकारते?”

बादशाह अकबर बीरबल की चाल समझ गए और अपना हुक्म वापस ले लिया।

Akbar ka saala || akbar birbal kahani hindi

अकबर का साला हमेशा से ही बीरबल की जगह लेना चाहता था। अकबर जानते थे कि बीरबल की जगह ले सके ऐसा बुद्धिमान इस संसार में कोई नहीं है। फिर भी जोरू के भाई को वह सीधी ‘ना’ नहीं बोल सकते थे। ऐसा कर के वह अपनी लाडली बेगम की बेरुखी मोल नहीं लेना चाहते थे। इसीलिए उन्होने अपने साले साहब को एक कोयले से भरी बोरी दे दी और कहा कि-

जाओ और इसे हमारे राज्य के सबसे मक्कार और लालची सेठ – सेठ दमड़ीलाल को बेचकर दिखाओ , अगर तुम यह काम कर गए तो तुम्हें बीरबल की जगह वज़ीर बना दूंगा।

अकबर की इस अजीब शर्त को सुन कर साला अचंभे में पड़ गया। वह कोयले की बोरी ले कर चला तो गया। पर उसे पता था कि वह सेठ किसी की बातो में नहीं आने वाला ऊपर से वह उल्टा उसे ही चूना लगा देगा। हुआ भी यही सेठ दमड़ीलाल ने कोयले की बोरी के बदले एक ढेला भी देने से इनकार कर दिया।
साला अपना सा मुंह लेकर महल वापस लौट आया और अपनी हार स्वीकार कर ली.
अब अकबर ने वही काम बीरबल को करने को कहा।
बीरबल कुछ सोचे और फिर बोले कि सेठ दमड़ीलाल जैसे मक्कार और लालची सेठ को यह कोयले की बोरी क्या मैं सिर्फ कोयले का एक टुकड़ा ही दस हज़ार रूपये में बेच आऊंगा। यह बोल कर वह तुरंत वहाँ से रवाना हो गए।
सबसे पहले उसने एक दरज़ी के पास जा कर एक मखमली कुर्ता सिलवाया। हीरे-मोती वाली मालाएँ गले में डाली। महंगी जूती पहनी और कोयले को बारीक सुरमे जैसा पिसवा लिया।

फिर उसने पिसे कोयले को एक सुरमे की छोटी चमकदार डिब्बी में भर लिया। इसके बाद बीरबल ने अपना भेष बदल लिया और एक मेहमानघर में रुक कर इश्तिहार दे दिया कि बगदाद से बड़े शेख आए हैं। जो करिश्माई सुरमा बेचते हैं। जिसे आँखों में लगाने से मरे हुए पूर्वज दिख जाते हैं और यदि उन्होंने कहीं कोई धन गाड़ा है तो उसका पता बताते हैं। यह बात शहर में आग की तरह फ़ैली।

सेठ दमड़ीलाल को भी ये बात पता चली। उसने सोचा ज़रूर उसके पूर्वजों ने कहीं न कहीं धन गाड़ा होगा। उसने तुरंत शेख बने बीरबल से सम्पर्क किया और सुरमे की डिब्बी खरीदने की पेशकश की। शेख ने डिब्बी के 20 हज़ार रुपये मांगे और मोल-भाव करते-करते 10 हज़ार में बात तय हुई।
पर सेठ भी होशियार था, उसने कहा मैं अभी तुरंत ये सुरमा लगाऊंगा और अगर मुझे मेरे पूर्वज नहीं दिखे तो मैं पैसे वापस ले लूँगा।
बीरबल बोला, “बिलकुल आप ऐसा कर सकते हैं, चलिए शहर के चौराहे पर चलिए और वहां इसे जांच लीजिये।”
सुरमे का चमत्कार देखने के लिए भीड़ इकठ्ठा हो गयी।

तब बीरबल ने ऊँची आवाज़ में कहा, “ये सेठ अभी ये चमत्कारी सुरमा लगायेंगे और अगर ये उन्ही की औलाद हैं जिन्हें ये अपना माँ-बाप समझते हैं तो इन्हें इनके पूर्वज दिखाई देंगे और गड़े धन के बारे में बताएँगे। लेकिन अगर आपके माँ-बाप में से किसी ने भी बेईमानी की होगी और आप उनकी असल औलाद नहीं होंगे तो आपको कुछ भी नहीं दिखेगा।
और ऐसा कहते ही बीरबल ने सेठ की आँखों में सुरमा लगा दिया।

फिर क्या था, सिर खुजाते हुए सेठ ने आँखें खोली। अब दिखना तो कुछ था नहीं, पर सेठ करे भी तो क्या करे!
अपनी इज्ज़त बचाने के लिए सेठ ने दस हज़ार बीरबल के हाथ थमा दिये। और मुंह फुलाते हुए आगे बढ़ गए।
बीरबल फ़ौरन अकबर के पास पहुंचे और रुपये थमाते हुए सारी कहानी सुना दी।

अकबर का साला बिना कुछ कहे अपने घर लौट गया। और अकबर-बीरबल एक दूसरे को देख कर मंद-मंद मुसकाने लगे। इस किस्से के बाद फिर कभी अकबर के साले ने बीरबल का स्थान नहीं मांगा।

“माता पिता का कभी साथ न छोड़ना” || mother father || handing poetry

माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना,
बहुत कुछ सहकरके तुम्हे बड़ा किये है!!
तुम्हे अपने पैरो पर खड़ा किये है,
तुम्हारे खुशियों के अलावा कुछ न चाह रखते है,
तुम्हारे मुस्कराहट के सिवा कुछ न मांग करते है!!
माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना,
खुद से पहले तुम्हे खिलाते थे!!
जब तुम रोते थे तो खुद बच्चे बन जाते थे,
खुद जागकर तुम्हे सुलाते थे,
घुटनों में बैठ के तुम्हे चलना सिखाते थे!!
माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना,
शिक्षक बन तुम्हे पढाया!!
दर्द सहते हुए भी तुम्हे हसाया,
तुम इस ओहदे पर पहुचे हो,
तुम्हे इस काबिल बनाया!!
माता पिता का कभी साथ न छोड़ना,
दिल उनका भूलकर भी न तोडना!!

“माँ की ममता – पापा का प्यार” || Maa papa poetry

घर मेरा एक बरगद है…..
मेरे पापा जिसकी जड़ है…!!
घनी छायो है मेरी माँ..
यही है मेरे आसमान…!!
पापा का है प्यार अनोखा..
जैसे शीतल हवा का झोका …!!
माँ की ममता सबसे प्यारी …
सबसे सुंदर सबसे नयारी….!!
हाथ पकड़ चलना सिखलाते
पापा हमको खूब घूमते ….!!
माँ मलहम बनकर लग जाती …
जब भी हमको चोट सताती..!!
माँ पापा बिन दुनिया सुनी
जैसे तपती आग की धुनी..!!
माँ ममता की धारा है …
पिता जीने का सहारा है…!!

Mother father || Hindi poetry on Maa papa

माता-पिता,
ईश्वर की वो सौगात है,
जो हमारे जीवन की अमृतधार है!
आपसे ही हमारी एक पहचान है,
वरना हम तो इस दुनिया से अनजान थे!
आपके आदर्शों पर चलकर ही,
हर मुश्किल का डटकर सामना करना सीखा है हमने!
आपने ही तो इस जीवन की दहलीज़ पर हमें,
अंगुली थामे चलना और आगे बढ़ना सिखाया है,
वरना एक कदम भी न चल पाने से हम हैरान थे!
आपके प्यार और विश्वास ने काबिल बनाया है हमें,

जीवन के हर मोड पर आज़माया है हमें,
वरना हम तो जीवन की कसौटियों से परेशान थे!
आपने हमेशा हर कदम पर सही राह दिखायी है हमें,
अच्छे और बुरे की पहचान करायी है हमें,
आपने दिया है जीवन का ये नायाब तोहफा हमें,
जिसे भुला पाना भी हमारे लिए मुश्किल है!
आपकी परवरिश ने ही दी है नेक राह हमें,
वरना हम तो इस नेक राह के काबिल न थे!
आपसे ही हमारे जीवन की शुरुआत है,
आपसे ही हमारी खुशियाँ और आबाद है,
आप ही हमारे जीवन का आधार है,
आप से हैं हम,
और आप से ही ये सारा जहांन है!

बेटियाँ /बेटी पर कविता || betiya || hindi poetry on daughters

रिश्तों की एक खूबसूरत एहसास होती हैं बेटियाँ
घर की रौनक, उदासियों में खिलखिलाहट
अंधियारे में उजियारा होती हैं बेटियाँ..
जीवन डगर की बेशकीमती सौगात होती हैं ये बेटियाँ।
 
निश्छल मन के भावों से ओतप्रोत
चिलचिलाती धूप में भी शीतल छांव होती हैं बेटियाँ
उम्र के हर पड़ाव में, हर सुख-दुख में,
माता-पिता की परछाई होती हैं ये बेटियाँ।
 
जग कहे पराया धन बेटी को
पर इंद्रधनुष के सात रंगों की तरह
कभी मां, कभी बहन..
ना जाने कितने रिश्तों में बंध जाती हैं ये बेटियाँ।
 
जब हर रिश्ते साथ छोड़ जाते हैं
तब पूर्ण समर्पण से अडिग साथ खड़ी रहती हैं ये  बेटियाँ
मां की ममता में पली,पिता के गर्व में लिपटी
स्वर्ग से उतरी परी होती हैं ये बेटियाँ।
 
परिवार को एक डोर में पिरोकर रखती हैं ये बेटियाँ
कम नहीं ये किसी से..
यूं समझ लो – बेमिसाल होती हैं बेटियाँ
रिश्तों की एक खूबसूरत एहसास होती हैं बेटियाँ।।

कहते थे साथ ना छोड़ेंगे हम || kehte the sath na shodenge hum || hindi sad shayari

कहते थे साथ ना छोड़ेंगे हम,
आज वो रिश्ते यूँ रुसवा हो गए |

मेरी होंठो पे हंसी देखेंगे हर दम,
कहने वाले आज बेगाने हो गए|

आँखों में खुशियों की चमक देने वाले,
आज उदासी का आलम दे गए |

छोटी – सी बात का तल्ख क्यूँ इतना,
प्यार के वादे का हर जुमला झूठे हो गए |

इश्क में जला करते थे जो दिन – रात,
अब वो परवाने नफ़रत में जल गए |

हो जाती सुलह माफ़ी दिल में रखने से,
वो तो अपनी जिद के पैमाने हो गए|

हार में ही होती है, मुहब्बत की जीत
जीतने की जुस्तजू में वो जुदा हो गए |

दिल धड़कता था जिसके लिए हर पल,
वो दिल अब खौफजदा हो गए|

पहुंच जाते थे मेरी खामोशी में जो मुझ तक,
वही आज लफ्जों में अलविदा कह गए||