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Poetry

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ज़िन्दगी जीना सीखा रही थी || life shayari

कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी,

फिर ढूँढा उसे इधर उधर
वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,

एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार,
वो सहला के मुझे सुला रही थी

हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी,

मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया
कमबख्त तूने,
वो हँसी और बोली- मैं जिंदगी हूँ पगले
तुझे जीना सिखा रही थी।

कहानी अधूरी रह जाएगी || shayed teri meri kahani

शायद तेरी मेरी कहानी अधूरी रह जाएगी
हमारे इश्क़ की दास्तां यहीं दफन हो जाएगी

लगाएगी ये दुनिया हम पर हजारों बंदिशें लेकिन
हमारी प्रेम कहानी फिर भी अमर हो जाएगी

कुछ पल ही बिता पाएंगे एक दूसरे के साथ
फिर जिंदगी पता नहीं किस मोड़ पर ले आएगी

ना तू मेरे साथ, ना मैं तेरे साथ
एक दूसरे की कमी हमें बहुत सताएगी

लेकिन तू बेफिक्र होकर मुझ पर विश्वास करना
मेरे दिल में तेरी जगह किसी को ना मिल पाएगी

अभी तो हजारों रंग बदलेगी ये ज़िन्दगी
ना तू मुझे भूलना, ना मैं तुझे
ऐसे ही एक दूसरे की याद के साथ
जिंदगी गुजर जाएगी ।।

तेरा साथ न मिला || sad love shayari

हाथ थाम कर भी तेरा सहारा न मिला
में वो लहर हूँ जिसे किनारा न मिला

मिल गया मुझे जो कुछ भी चाहा मैंने
मिला नहीं तो सिर्फ साथ तुम्हारा न मिला

वैसे तो सितारों से भरा हुआ है आसमान मिला
मगर जो हम ढूंढ़ रहे थे वो सितारा न मिला

कुछ इस तरह से बदली पहर ज़िन्दगी की हमारी
फिर जिसको भी पुकारा वो दुबारा न मिला

एहसास तो हुआ उसे मगर देर बहुत हो गयी
उसने जब ढूँढा तो निशान भी हमारा न मिला

           तरुण चौधरी

 जंगल की सैर

जग की हलचल तज उस ओर
जहाँ बसा है जंगल घोर
आओ आज वहां घूमेंगे
खुशियों में भरकर झूमेंगे
घने घने वन बने जहाँ पर
तरु समूह हैं तने जहाँ पर
जहाँ झाड़ियाँ खड़ी हुई हैं
पग पग बेलें पड़ी हुई हैं.
 
पथ है जहाँ बनाना मुश्किल
आदि अंत कुल पाना मुश्किल
जिसके भीतर जाना मुश्किल
जाकर के फिर आना मुश्किल
 
जंगल यह पशुओं का घर है
राजा जिनका शेर बबर है
कभी कभी जब वह दहाड़ता
आसमान के कान फाड़ता
 
इधर खड़ा है देखो चीता
झरने के तट पानी पीता
इसके तन पर काली धारी
यह है हिंसक मांसाहारी
 
देखों इधर तेंदुआ आता
बिल्ली का वंशज कहलाता
बिल्ली इसकी नानी लगती
किंतु देखते ही है भगती
 
हाथी सूंड उठाते हैं ये
ढेरों खाना खाते हैं ये
मस्त चाल से जाते हैं ये
वन में रौंद मचाते हैं ये
 
झाड़ी के अंदर खामोश
देखों बैठा है खरगोश
टूंग टूंग खाता है घास
कभी नहीं आता है पास
 
उधर हिरन भागे जाते है
चंचल ये मृग कहलाते हैं
पतली पतली इनकी टाँगें
कभी चौकड़ी कभी छंलागे
 
सुंदर इनके नयन सलौने
प्यारे लगते इनके छौने
सीधे सादे भोले भाले
जो भी चाहे इनको पाले
 

माँ की ममता || maa shayari

माँ की ममता ईश्वर का वरदान है
सच पूछो तो माँ, इन्सान नहीं भगवान है
माँ के चरणों में जन्नत का हर रूप होता है
माँ में हीं ईश्वर का हर स्वरूप होता है
माँ, जो हर बच्चे के दिल की चाह होती है
मुसीबत में एक नई राह होती है
जो हर किसी के करीब नहीं होती
जो हर किसी को नसीब नहीं होती

      माँ की एहमियत उनसे पूछो जिनकी माँ नहीं होती है
जो हर बच्चे की जान होती है
जो हर रिश्ते का मान होती है
सभी का एक मात्र अरमान होती है

हर किसी को माँ की ममता मिले, अपनी माँ से
कभी कोई न बिछड़े अपनी माँ से
यही है मेरी एक मात्र दुआ उस खुदा से
जिनकी माँ हो, उसे क्या पता कि माँ क्या होती है
माँ को जानना है तो उनसे पूछो जिनकी माँ नहीं होती है

पेड़ों के महत्व पर कविता || Hindi poetry

अंकुर मिट्टी में सोया था सपने मै खोया था
नन्हा बीज हवा ने लाकर एक जगह बोया था।

तभी बीज ने ली अंगड़ाई देह जरा सी पाई
आंख खोलकर बाहर आया, दुनिया पड़ी दिखाई

खाद्य मिली पानी भी पाया ऐसे जीवन आया
ऊपर बड़ा इधर, धरती में नीचे उधर समाया।

तने डालिया पत्ते आए और फल मुस्कराए
नन्हा बीज वृक्ष बनकर धरती पर लहराए।

जीता मरता रोगी होता दुख आने पर सोता
वृक्ष सांस लेता बढ़ता है जगता है फिर सोता।

रोज शाम को चिड़िया आती सारी रात बिताती
बड़े सवेरे जाग वृक्ष, पर ची ची ची ची गाती।

छाया आती बड़ी सुआती सब टोली झूट जाती
तरह तरह के खेल वर्क्ष के नीचे बैठ रचती।

पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ || Hindi poetry

पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ,
हरा भरा जीवन बनाओ।

छाया ये हमको देते है,
फल ये हमको देते है।

बाढ़ से हमको बचाते है,
प्रदुषण दूर हटाते हैं,

हम भी पेड़ लगाएंगे,
संसार को हरा भरा बनाएंगे।

स्वर्ग की यात्रा || akbar birbal story

एक बार की बात है, राजा अकबर अपने दरबार में बैठकर कुछ विचार कर रहे थे। तभी अचानक उन्हें ख्याल आया कि उनकी दाढ़ी और बाल काफी बढ़ गए हैं। इस ख्याल के आते ही उन्होंने अपने एक दरबारी को बुलाकर नाई को फौरन हाजिर होने का संदेश भिजवाया। राजा का संदेश मिलते ही नाई महल पहुंच गया।

महल पहुंचकर नाई राजा की हजामत बना ही रहा था कि कहीं से एक कौवा वहां आकर बैठ जाता है और कांव-कांव करने लगता है। राजा अकबर नाई से पूछते हैं, “यह कौवा कांव-कांव क्यों कर रहा है?” इस पर नाई जवाब देता है, “यह आपके पूर्वजों का हाल-चाल बताने आया है।”

नाई के इतना कहते ही राजा अकबर आश्चर्य से पूछते हैं, “तो बताओ फिर यह कौवा मेरे पूर्वजों के बारे में आखिर क्या बता रहा है?”

राजा के इस सवाल पर नाई कहता है, “यह कौवा कह रहा है कि आपके पूर्वज स्वर्ग में मुसीबत में हैं और काफी परेशान हैं। उनका हालचाल लेने के लिए आपको अपने किसी करीबी को स्वर्ग भेजना चाहिए।”

नाई की यह बात सुनकर राजा अकबर और भी हैरान हो जाते हैं। राजा अकबर आश्चर्य से नाई से पूछते हैं, “आखिर किसी इंसान को जिंदा स्वर्ग में कैसे भेजा जा सकता है?”

राजा के इस सवाल पर नाई जवाब देता है, “महाराज मेरी नजर में एक पुरोहित है, जो इस काम को अंजाम दे सकता है। बस आप इस काम के लिए अपने किसी करीबी को स्वर्ग जाने के लिए राजी कर लीजिए।”

नाई के इस आश्वासन पर राजा अकबर तैयार हो जाते हैं और दरबार में अपने सभी करीबी दरबारियों को बुलाते हैं। राजा के आदेश पर सभी करीबी दरबारी राजा अकबर के सामने हाजिर हो जाते हैं।

सभी दरबारी राजा से अचानक बुलाने की वजह पूछते हैं। इस पर राजा उन्हें नाई के साथ हुई सारी बात सुनाते हैं। राजा की बात सुनकर सभी दरबारी एक मत में बीरबल का नाम आगे रखते हैं। दरबारी कहते हैं कि स्वर्ग जाकर पूर्वजों का हाल-चाल लेने के लिए बीरबल से उचित व्यक्ति और कोई नहीं हो सकता, क्योंकि बीरबल हम सब में सबसे ज्यादा बुद्धिमान और चतुर है। इसलिए, स्वर्ग में आपके पूर्वजों का हाल-चाल लेकर वह उनकी परेशानी का हल आसानी से निकाल सकता है।

राजा अकबर दरबारियों की इस सलाह को मानते हुए बीरबल को स्वर्ग भेजने की तैयारी कर लेते हैं। इस बात का पता चलते ही बीरबल शहंशाह अकबर से पुरोहित को बुलाकर स्वर्ग भेजने की विधि के बारे में पूछते हैं।

बीरबल की इस बात पर राजमहल में पुरोहित को बुलवाया जाता है। पुरोहित के आते ही उनसे स्वर्ग जाने की विधि के बारे में पूछा जाता है। पुरोहित बताते हैं, “आपको यहीं पास में मौजूद एक घास के ढेर में भेजा जाएगा। बाद में उस ढेर में आग लगा दी जाएगी। फिर कुछ मंत्रों की शक्ति से आपको स्वर्ग भेज दिया जाएगा।”

स्वर्ग जाने की पूरी प्रक्रिया जानने के बाद बीरबाल राजा अकबर से करीब 11 दिन का समय मांगते हैं और पुरोहित को 11 दिन बाद बुलाने की बात रखते हैं। वह कहते हैं, “मैं स्वर्ग जा रहा हूं और कितने दिन मुझे लौटने में लगेंगे इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना मुश्किल है। इसलिए, स्वर्ग जाने से पहले एक बार मैं अपने परिवार से मिलना चाहता हूं और कुछ समय बिताना चाहता हूं।”

बीरबल अपने घर जाने के लिए महल से रवाना हो जाते हैं। देखते-देखते 11 दिन बीत जाते हैं। 12वें दिन बीरबल स्वर्ग जाने के लिए राजा अकबर के सामने हाजिर होते हैं। पुरोहित को बुलाया जाता है और बीरबल को स्वर्ग भेजने की तैयारी की जाने लगती हैं।

पुरोहित बीरबल को स्वर्ग भेजने के लिए महल से कुछ दूर घास का एक ढेर लगवाते हैं। बीरबल को स्वर्ग भेजने के लिए घास के ढेर के अंदर भिजवाया जाता है। घास के ढेर के अंदर जाते ही पुरोहित घास के ढेर में आग लगा देते हैं और बीरबल को स्वर्ग भेजने की प्रक्रिया पूरी होती है।

धीरे-धीरे दो महीने बीत जाते हैं और राजा अकबर को बीरबल की चिंता होने लगती है। तभी अचानक बीरबल दरबार में हाजिर हो जाते हैं। राजा अकबर, बीरबल को देखकर प्रसन्न होते हैं और अपने पूर्वजों का हाल-चाल पूछते हैं।

तब बीरबल बताते हैं, “आपके पूर्वज काफी खुश हैं और मजे में हैं। उन्हें बस एक ही तकलीफ है कि उनकी दाढी और बाल काफी बड़े हो गए हैं, जिन्हें काटने वाला स्वर्ग में कोई नाई नहीं है। इसलिए, वहां उन्हें एक नाई की जरूरत है।”

बीरबल कहते हैं, “ऐसे में हमें आपके पूर्वजों के लिए एक अच्छे नाई को स्वर्ग भेजने की तैयारी करनी चाहिए।” बीरबल की इस बात पर राजा नाई को स्वर्ग जाने का आदेश देते हैं।

राजा का आदेश सुनकर नाई घबरा जाता है और राजा के पैरों में गिरकर माफी मांगने लगता है। नाई राजा से कहता है कि यह सब कुछ उसने वजीर अब्दुल्लाह के कहने पर किया था। यह सब उन्हीं की साजिश थी, ताकि वह बीरबल को अपने रास्ते से हटा सकें। अब राजा अकबर के सामने सारी सच्चाई आ चुकी थी। ये सब जानने के बाद राजा अकबर ने वजीर अब्दुल्लाह और उनके साथियों को दंड देने का आदेश दिया।

अंत में राजा अकबर, बीरबल से पूछते हैं, “तुम्हें इस सच्चाई का पता कैसे चला और तुम घास के ढेर में आग लगने के बाद कैसे बच गए?” तब बीरबल जवाब देते हैं, “आग के ढेर में जाने कि बात सुनकर मुझे इस साजिश का अंदाजा हो गया था। इसी वजह से मैंने 11 दिन का समय मांगा था। उन 11 दिनों में मैंने उस घास के ढेर वाले स्थान के नीचे से अपने घर तक एक सुरंग बनवा दी थी। उस सुरंग के जरिए ही मैं वहां से बचकर निकल पाया।”