Skip to content

Poetry

Punjabi kavita, very sad punjabi poetry, love punjabi poetry, dard punjabi poetry, dard bhari punjabi poetry in gumukhi, sad punjabi poetry in punjabi font, punjabi kavitawaan, shiv kumar batalvi poetry sad

धरती सारी

दरवाज़ा किसी के जीवन में

ख़ुद को समझ लें

उस ग़ुरूर से बचाना ईश्वर

कि बंद करने को

कुछ रहे पास

दीवार ही सही

कमर टिकाई हो जिस पर

कभी किसी कमज़ोर पल

उस पर थूक सकने की

जहालत से भी बचाना

पर वह साहस ज़रूर देना

जो मुँह से बाहर निकलते दिल को पकड़ सके

सँभाल सके और कह सके

कि जो पाया उसे लौटाने से ज़्यादा ज़रूरी है

उस भूमिका को सँभालना जो हम निभाते हैं

अपने या किसी और के जीवन में

माफ़ कर सकें उनसे ज़्यादा खुद को

याद रख सकें बस इतना

कि विश्व के सबसे अलोकप्रिय लोगों ने बख़्शी जान हमें

उन्हें सबने नज़रंदाज़ किया

उनके पैरों में सारे आँसू वार दें

उनकी हथेली में बिखेर सकें सारी हँसी

जब कह देना ही सब कुछ हो

चुप रह सकें उस वक़्त

कड़वी बात को यूँ ज़ब्त कर लें

नाख़ूनों में भर लें

खुरचकर धरती सारी।

pyar wali gal saari || Punjabi Shayri

Piar wali gal sari

dilan wali saanj di

ik dusre de laie

maan samaan di

kade ruse kade guse

kade mun jaan di

Piar wali gal sari

dilan wali saanj di

Aasman me faila ujaala || beti shayari hindi

वो आसमन मै फैला उजाला है,
या मेरे घुस्से पर लगा ताला|
वो पहाडो की चोटी पर सुरज की किरण है,
या जिंदगी सही जिने का आचरण|
वो ना हो तो वर्णमाला अधुरी है,
वो जो सबसे ज्यादा जरुरी है|
डाटता हु तो चुप हो जाती है,
फिर मेरी गोद मै आ कर सिसककर रोती है|
वो मुझसे मेहेंगे तौफे या खिलोने नही चाहती,
वो तो बस कुछ वक्त मेरे साथ बिताना चाहती है|
लोग केहते है बेटिया तो पराया धन होती है,
पर एक बाप से पूछो वो उसके जिनेका मकसद होती है|
बेटीया तो सिर्फ बेटीया होती है|

zindagi tujhe jeene ki || zindagi shayari

जिंदगी तुझे  जीने की साझीश जारी है 

हर लम्हे मे दर्द है और दर्द से अपनी यारी है 

कुछ न देके भी भोत कुछ दिया है तूने 

एसिलिए तू कही न कही हमको प्यारी है  । 

नुकसान भरा नहीं पिछली बरबादी का 

फिर एक दफा तुझे  सवारने की तयारी है 

जिंदगी तुझे  ज़ीने की साझीश जारी है । 

हर दिन आके झँझोड़ जाती है तू 

जैसे सदियों से तेरी हमपे उधारी है 

तू साथ दे या न दे हमारा

लेकिन तुजे जीने की ज़िद्द दिल मे उतारी है 

जिंदगी तुझे  जीने की साझीश जारी है । 

वक्त का खामोशी से गुजारना ओर धडकनों का यूं शोर मचाना 

एह जिंदगी तू ही बता ये कैसी बेकरारी है 

लौट आए जो वो पुराने लोग 

तो पुछू  आखिरी कैसे उन्होने उन्होने जिंदगी गुजारी है 

जिंदगी तुझे  जीने की साझीश जारी है ।

उम्मीद है तू साथ चलेगी मेरे 

खवाबों से भरी हाथ मे मेरे पिटारी है 

पूरे हो या न हो ये किस्मत का खेल है 

पर जिंदगी तुझे जीने की जंग जारी है । 

                                                  ……….. अजय कुमार । 

कुछ तो संभाल रखा है ……..

सौ ख्वाबों को मिला के एक ख्वाब देख रखा है ,

ज़िंदगी ने जाने फिर भी क्या हिसाब रखा है ,

तू मशरुफ़ है तेरी अहमत में,

और मैंने तेरे इंतज़ार को संभाल रखा है ।

 

माना दर्द की सौगात लाता है इश्क़ जाना ,

फिर भी मैंने अपनी मुलाकातों का गुलाब रखा है ,

तेरे साथ ही तो चल रहा है वजूद मेरा ,

तेरी यादों  का मैंने एक तकियाँ भिगो रखा है ।

 

तेरा यू इंतज़ार करवाना ,मेरे दिल को खा जाता है ,

फिर भी तुझसे मिलने का अरमान सजा रखा है ,

कभी आओ खुल के सामने जो मेरे तुम तो दिखाऊ ,

टूटे दिल मे भी तेरे लिए एक महल सजा रखा है ।  

                                     ………….अजय कुमार । 

Hai ishq toh fir asar bhi hoga || hindi shayari

है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
जितना है इधर उधर भी होगा

माना ये के दिल है उस का पत्थर
पत्थर में निहाँ शरर भी होगा

हँसने दे उसे लहद पे मेरी
इक दिन वही नौहा-गर भी होगा

नाला मेरा गर कोई शजर है
इक रोज़ ये बार-वर भी होगा

नादाँ न समझ जहान को घर
इस घर से कभी सफ़र भी होगा

मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद
मिट्टी तेरे तन का घर भी होगा

ज़ुल्फ़ों से जो उस की छाएगी रात
चेहरे से अयाँ क़मर भी होगा

गाली से न डर जो दें वो बोसा
है नफ़ा जहाँ ज़रर भी होगा

रखता है जो पाँव रख समझ कर
इस राह में नज़्र सर भी होगा

उस बज़्म की आरज़ू है बे-कार
हम सूँ का वहाँ गुज़र भी होगा

‘शहबाज़’ में ऐब ही नहीं कुल
एक आध कोई हुनर भी होगा