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Poetry

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बड़े भाई पर कविता || brother poetry || Hindi poetry

हर ख़ुशी में हर गम में आपका साथ हो
मेरे भाई तुम पापा के सर ताज हो
सभी बहनों की खुशियों का तुम ही एक राज हो
तुम ही तो रक्षाबन्धन (राखी) की लाज हो
वैसे तो पत्थर की तराह कठोर हो
लेकिन पर मुसीबत आने पर मोम की तरह पिघलते हो |
कैसे जाने बिन बताये मन की बात कैसे जान लेते हो
बहनों की परेशानीयों को अपनी मान लेते हो
हर ख़ुशी में हर गम में आपका साथ हो
मेरे भाई तुम पापा के सर ताज हो

माँ को बेटी की पुकार कविता ||Hindi poetry

पहली धड़कन भी मेरी धडकी थी तेरे भीतर ही,
जमी को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां.

आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा.

खामोशी मेरी जुबान को  सुर भी तूने ही दिया,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने  भर दिया.

अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,
मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा.

वह रात  छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,
दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी.

ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,
तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था.

पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,
तेरी चूड़ियों तेरे पायल की आवाज से डर लगता था.

लगता था तू आएगी बहुत  डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,
माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है.

चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,
मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए.

जाना चाहती हूं  उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,
जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी.

जब तेरे बिना लोरियों  कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,
माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी.

अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,
चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को.

खुश होगी माँ एक दिन तू भी,
जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे.

Mother son poetry hindi || Maa shayari

कोई भी जहर को मीठा नहीं बताता है।
कल अपने आप को देखा था माँ की आँखों में
ये आईना हमे बूढ़ा नहीं बताता है।
ए अँधेरे देख ले मुँह तेरा काला हो गया
माँ ने आँखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
किस तरह वो मेरे गुनाहो को धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।
बुलंदियों का बड़े से बड़ा नीसान छुआ
उठाया गोद में माँ ने तब आसमान छुआ।
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आयी
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आयी।

थोड़ा थक सा जाता हूं अब मै || Hindi poetry

“थोड़ा थक सा जाता हूं अब मै…
इसलिए, दूर निकलना छोड़ दिया है,
पर ऐसा भी नही हैं कि अब…
मैंने चलना ही छोड़ दिया है।

फासलें अक्सर रिश्तों में…
अजीब सी दूरियां बढ़ा देते हैं,
पर ऐसा भी नही हैं कि अब मैंने..
अपनों से मिलना ही छोड़ दिया है।

हाँ जरा सा अकेला महसूस करता हूँ…
खुद को अपनों की ही भीड़ में,
पर ऐसा भी नहीं है कि अब मैंने…
अपनापन ही छोड़ दिया है।

याद तो करता हूँ मैं सभी को…
और परवाह भी करता हूँ सब की,
पर कितनी करता हूँ…
बस, बताना छोड़ दिया है।।”

तेरा साथ न मिला || Hindi shayari || sad but true

हाथ थाम कर भी तेरा सहारा न मिला
में वो लहर हूँ जिसे किनारा न मिला
मिल गया मुझे जो कुछ भी चाहा मैंने
मिला नहीं तो सिर्फ साथ तुम्हारा न मिला
वैसे तो सितारों से भरा हुआ है आसमान मिला
मगर जो हम ढूंढ़ रहे थे वो सितारा न मिला
कुछ इस तरह से बदली पहर ज़िन्दगी की हमारी
फिर जिसको भी पुकारा वो दुबारा न मिला
एहसास तो हुआ उसे मगर देर बहुत हो गयी
उसने जब ढूँढा तो निशान भी हमारा न मिला🍂

उसकी अहमियत बताना भी ज़रूरी है || Hindi love poetry

उसकी अहमियत है क्या, बताना भी ज़रूरी है !
है उससे इश्क़ अग़र तो जताना भी ज़रूरी है !!
अब काम लफ़्फ़ाज़ी से तुम कब तक चलाओगे !
उसकी झील सी आंखों में डूब जाना भी ज़रूरी है !!
दिल के ज़ज़्बात तुम दिल मे दबा कर मत रखो !
उसको देख कर प्यार से मुस्कुराना भी ज़रूरी है !!
उसे ये बारहा कहना वो कितना ख़ूबसूरत है !
उसे नग्मे मोहब्बत के सुनाना भी ज़रूरी है !!
किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका !
किया है इश्क़ गर तुमने, निभाना भी ज़रूरी है !!
सहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन !
कभी महबूब गर रूठे तो मनाना भी ज़रूरी है !!

Naari || Hindi poetry || true lines

मान लिखूँ सम्मान लिखूँ मैं।
आशय और बखान लिखूं मैं।
जिस नारी पर दुनिया आश्रित,
उसका ही बलिदान लिखूँ मैं।।
जीवन ऐसी बहती धारा,
जिसका प्यासा स्वयं किनारा,
पत्थर पत्थर अश्क उकेरे,
अधरों पर मुस्कान लिखूँ मैं।
मान——
कोमल है कमज़ोर नहीं है,
नारी है यह डोर नहीं है,
मनमर्ज़ी इसके संग करले
इतना कब आसान लिखूँ मैं
मान—-
बेटा हो या बेटी प्यारी,
जन्म सभी को देती नारी,
इसका अन्तस् पुलकित कोमल
इसके भी अरमान लिखूँ मैं
मान—-
हिम्मत से तक़दीर बदल दे,
मुस्कानों में पीर बदल दे,
प्रेम आस विश्वास की मूरत,
शब्द शब्द गुणगान लिखूँ मैं
मान——

तू चलता चल ऐ बंदेया ! || Hindi poetry || inspirational poetry

तू चलता चल ऐ बंदेया 
माना मुश्किल , है सफ़र 
पर जब साथ हो कोई हमदर्द 
तो किस बात का डर 
तू चलता चल ऐ बंदेया….
बपिस मुड़ना अब यहाँ से 
माना है , जिस राह पर तू चला है 
रुक , ठहर , खुद से खुद की लिए इजाज़त माँग,
फिरसे खड़कर , द्रिड होकर, चट्टान सा बनकर 
तू चलता चल ऐ बंदेया…
तुझे रखना पड़ेगा खुद को प्रत्येक रूप से तयार
क्यूँकि इस संसार में ना रख सकते प्यार का , ना यार का ऐतबार
पर मुश्किल समय में ग़ैरों का हौंसला ज़रूर  बनना मेरे यार 
यहाँ आजकल कोन आता है छोड़कर अपना घर व्यापार
तू बुलंदियाँ छूता चल ऐ बंदेया ,तू चलता चल ऐ बंदेया ,
तू चलता चल ऐ बंदेया…….।