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Poetry

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Qalb || Ghazal || hindi poetry

कितने गुज़र गए ज़माने यूँ ज़ख्म खाने में,
बडा वक़्त लगाते हो यार मरहम लगाने में.

दासबर्दार तेरे इश्क़ में आशनाई गवा बैठे,
बावर्णा दिल-खवा अपने भी थे ज़माने में.

जो क़ल्ब परोसता है ग़ज़लों में बेदिली से मुसाहिब,
मुझे भी तोह सुना कोनसा ग़म है तेरे अफ़साने में.

मेरा ग़म कौन जाने मैं पौधा ही जानू हिज्र-ए-गुल,
बीस दिन लगते है अशर कली को फूल बनाने में…

Dil se khwahish poori hai || love hindi shayari

तुझे अपना बनाने की तो मेरी, दिल से ख्वाहिश पूरी है..
पर तू मुझे चाहे उसके लिए तेरे, ख्वाबों में आना जरुरी है..
ख़्वाबों में आने के लिए तेरा, दिल धड़काना जरुरी है..
तुझे अपना बनाने से पहले, तेरा बन जाना जरुरी है..
हाथ लगाने से पहले, तेरे लबों पर मेरा नाम आना जरुरी है..
तुझे साथी बनाने से पहले, तेरा साथ निभाना जरुरी है..
तू दीवानी हो मेरी, और मेरा, तेरी अदाओं पे मर जाना जरुरी है..
तेरे किसी और को चाहने से पहले, तेरा मुझे चाहना जरुरी है..
तुझे अपना बनाने की तो मेरी, दिल से ख्वाहिश पूरी है….

दूर देश अंजाना || Hindi poetry || love shayari

हवा बहती हुई यूं मदधम सी, गा रही है एक तराना..
मेरे यार का लाई है संदेश, जिसपे नहीं है पता ठिकाना..
उस खत में लिखे हैं शब्द दो ही, अब कैसे जाए पहचाना..
आए तुम्हे जब याद मेरी, तुम प्यार से मुझे बुलाना..
मैं आउंगी ये वादा है, चाहे रोके सारा जमाना..
क्या भूल गई वादा वो अपना, इस गम में है दिल दीवाना..
क्या मै करूँ, चाहता है दिल, करीब उसके अब चले जाना..
मैं रोक नहीं सकता अब उसको, मुश्किल है सब्र कराना..
मैने हवा से की फरियाद के वापस मुझे अपने साथ ले जाना..
मैं आऊं कहां, मेरे यार का पता पुछ के मुझे बताना..
उसकी झलक को हूं मैं तरस गया, बस एक बार दिखला ना..
टालने में वो माहिर है, पर तू करना ना कोई बहाना..
क्यूं नहीं मिलता वो मुझसे, उसे मिलके है पता लगाना..
मुझे जानना है, वो है कहां, उसे क्यूं नहीं है यहां आना..
उसे कहदे मैं न भूलूंगा, चाहे भूले सारा जमाना..
गर वो नहीं आ सकती तो उसे पड़ेगा मुझे बुलाना..
हवा भी हो गई परेशान, वो चाहे मुझे समझाना..
जहां यार मेरा, मैं जा नहीं सकता, है दूर देश अंजाना….

हाय अल्लाह ! ||Haye allah || beautiful hindi poetry

ये किसने जेल में लाया खाना हाय अल्लाह,
मुजरिम का भी है कोई दीवाना हाय अल्लाह।
ये मज्मा भी मेरे रोने पे बजाता है ताली,
किसको सुनाएं अपना अफ़साना हाय अल्लाह।
अब क्या कि जुर्म किसने की है क़ुसुर है किसका,
अब तो लगा है मुझपर जुर्माना हाय अल्लाह।
मेरी नज़र क्या उस पे है सबकी नज़र मुझ पे है,
पूरा शहर है उसका दीवाना हाय अल्लाह।
वो मुझसे मिलता है रोज़ाना मगर नतीजा ये,
देखो तो लगता है वो बेगाना हाय अल्लाह।
जब भी किसी ने पूछा है धोखा कब मिला फिर तो,
बचपन का याद आए याराना हाय अल्लाह।
शिकवा नहीं है उससे बस दुख ‘अमीम’ इतना है,
क्यों मेरा लौट आया नज़राना हाय अल्लाह



Saboot-e-Begunahi || hindi shayari

Jo duniya ki tabahi chahte hai 
Hamse khair-khahi chahte hai
Jo muzrim hai hamare
Hum hi se subut-e-begunahi chahte hai😶

जो दुनियां की तबाही चाहते हैं
हमसे खैर-खाही चाहते हैं
जो मुज़रिम है हमारे
हम ही से सबूत-ए-बेगुनाही चाहते हैं😶

hindi Shayari || beautiful shayari gazal

ग़ज़ल !

तिश्नगी थी मुलाक़ात की,
उस से हाँ मैंने फिर बात की।

दुश्मनी मेरी अब मौत से,
ज़िंदगी हाथ पे हाथ की।

सादगी उसकी देखा हूँ मैं,
हाँ वो लड़की है देहात की।

तुमने वादा किया था कभी,
याद है बात वो रात की।

अब मैं कैसे कहूँ इश्क़ इसे,
बात जब आ गई ज़ात की।

मुझसे क्या दुश्मनी ऐ घटा,
क्यों मेरे घर पे बरसात की।

हमको मालिक ने जितना दिया,
सब ग़रीबों में ख़ैरात की।

तू कभी मिल तो मालूम हो,
क्या है औक़ात औक़ात की।

Mein aur meri tanhaai || hindi shayari

करवट बदलकर सोने की कोशिश की, नींद फिर भी ना आई..
रात कमरे में बस हम दोनो थे, मैं और मेरी तनहाई..
उसे पसंद नहीं मुझसे दूर जाना, और मैने कभी वो पास ना बुलाई..
आखिर में बैठकर बातें की उससे, और जान पहचान बढ़ाई..
उसने कहा साथ उसे अच्छा लगता है मेरा, पर मुझे वो रास न आई..
समझाया उसे दूर होजा मुझसे, इतनी सी बात भी उसे समझ ना आई..
आखिर में अपनाना पड़ा उसे, वो तो मुझे छोड़ ना पाई..
जब अपनाकर उसे, आंखें बंद की मैने, तब जाकर कहीं मुझे नींद आई….

Kya sitam hai || hindi poetry

वो भी हमको मिल गया है क्या सितम है,
ग़म ही ग़म है क्या ही क्या है क्या सितम है।

देख ले इक मर्तबा तेरी तरफ़ जो,
रात दिन मांगे दुआ है क्या सितम है।

ज़िंदगी मेरी कहीं बस बीत जाए
बे वफ़ा तो हो गया है क्या सितम है।

इश्क़ तेरा अब जहर सा हो गया है,
वो जहर ही अब दवा है क्या सितम है।

आज कल घर से निकलते ही नहीं हो,
यार तुमको क्या हुआ है क्या सितम है।